भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार भले ही खेलों को बढ़ावा देने का दावा करती है. खेल विभाग ने 5 सालों में हर गांव में एक खेल मैदान विकसित करने का लक्ष्य रखा था, जबकि 2005 से 2019 तक 54000 गांवों में सिर्फ 253 खेल मैदान का निर्माण किया जा सका है, जिससे साफ जाहिर होता है कि विभाग का प्रयास सिर्फ दिखावे का था. ये खुलासा कैग की रिपोर्ट में हुआ है, जिसे शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विधानसभा के पटल पर रखा गया था.
सफेद हाथी बना एमपी का खेल विभाग
खेल विभाग ने 2014 से 19 के बीच 15 आदिवासी बाहुल्य जिलों में एक भी खेल अकादमी स्थापित नहीं की, जबकि जनजातीय आबादी में छिपी प्रतिभाओं का पता लगाने के उपायों की बात कही गई और जनजाति उपयोजना के तहत 36.41 करोड़ रुपए खर्च भी किया गया है. खेल विभाग की अधोसंरचना अनुपयोगी रही क्योंकि कार्य अधूरे रहे, खेल मैदान की स्थिति खराब रही, मिनी स्टेडियम का अधूरा रखरखाव होता रहा और आवश्यक उपकरणों की खरीदी नहीं होने, संधारण, कर्मचारियों को कार्य पर लगाए जाने में देरी के चलते विभाग अपने लक्ष्य से भटकता रहा. 18 खेल अकादमी में 65% प्रशिक्षकों की कमी है.
मुफ्त अनाज योजना में मिली गड़बड़ी
सरकार की मुफ्त अनाज योजना में भी कैग को ढेरों अनियमितताएं मिली हैं और कैग ने सुझाव भी दिया है, कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा ढांचे में कमी के कारण मध्यप्रदेश शासन ने फरवरी 2020 तक अपीलीय और गंभीर प्रकरणों, जिसमें जिला और सत्र न्यायाधीश व मुख्य न्यायाधीश के न्यायालय में लंबित रहने में वृद्धि के बावजूद अलग से खाद्य सुरक्षा अपील अधिकरण और अपराधों की सुनवाई के लिए अलग से विशेष, साधारण न्यायालय की स्थापना नहीं की. जोकि नियमों के तहत आवश्यक था.
3.64 करोड़ जुर्माना नहीं वसूल पाया विभाग
प्रशासकीय तंत्र में भी कमी थी क्योंकि खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम के क्रियान्वयन के पर्यवेक्षण के लिए आवश्यक खाद्य सुरक्षा आयुक्त, अधिकारियों सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर अतिरिक्त प्रभारी के रूप में लोगों को बैठाया गया, विभाग में 61% मानव शक्ति की कमी रही, विभाग अर्थदंड की राशि 3.64 करोड़ भी नहीं वसूल सका और दोषियों के विरुद्ध राजस्व वसूली प्रमाण पत्र की कार्रवाई भी शुरू नहीं कर सका. उचित मूल्य की दुकान है, मदिरा दुकानों का बिना लाइसेंस के संचालन किया जाना, कम संख्या में नियामक नमूने लिया जाना और विश्लेषण किया जाना. निगरानी नमूनों के विश्लेषण में कमी देखी गई.
ज्यादातर थानों में स्टाफ की कमी
कैग ने कहा कि खाद्य सुरक्षा के उद्देश के लिए एक मजबूत परीक्षण आधारित संरचना का होना स्वभाविक है, इंदौर-उज्जैन की खाद्य प्रयोगशालाओं को अपग्रेड भी नहीं किया गया, जिसने खाद्य विश्लेषकों के कार्य को प्रभावित किया. कैग ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी सवाल किया है, उसने पाया कि 20.68% रिक्त पदों के साथ गृह विभाग संघर्षरत रहा, मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल को भर्ती के लिए मांग प्रेषित करने में विलंब किया, कुछ स्थानों को छोड़कर ज्यादातर थानों में मानव शक्ति की कमी देखी गई, पुलिस लाइन में स्वीकृत मानव शक्ति से 37.67 प्रतिशत अधिक कर्मचारी थे, विभाग अति विशिष्ट व्यक्तियों के लिए सुरक्षा गार्डों के प्रावधान को विनियमित करने और गैर आवश्यक सुरक्षा बंद करने में भी विफल रहा, जिससे पहले से ही अत्यधिक बोझ से दबी पुलिस और दबती गई.