रायपुर । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शुक्रवार को राजधानी रायपुर स्थित दूधाधारी मठ पहुंचे और यहां पूजा-अर्चना कर महंत रामसुंदर दास से बातचीत की। दूधाधारी मठ के राम मंदिर में भगवान राम अपने तीनों भाइयों एवं माता सीता के साथ विराजे हैं। पत्थर की बनी मूर्ति काफी आकर्षक है। मुख्यमंत्री बघेल गौ पूजन में भी शामिल हुए। उन्होंने गौ माता को माला पहना कर चारा खिलाया।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत डा. रामसुदर दास, कोटमीसोनार महामंडलेश्वर सर्वेश्वर दास, रतनपुर महामंडलेश्वर दिव्यकान्त दास एव मठ के अन्य सदस्य उपस्थित थे। महंत राम सुन्दर दास ने मुख्यमंत्री बघेल को शिवरीनारायण मंदिर से लाए गए कृष्णवट भेंट किया। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान इसी वट वृक्ष के पत्तों से बने दोने में माता शबरी द्वारा भेंट किए गए बेर खाये थे।
दूध पर जिंदा रहने वाले महंत के नाम पर पड़ा दूधाधारी मठ
महाराजबंध तालाब के सामने दूधाधारी मठ में भगवान श्रीराम-जानकी, भगवान बालाजी और हनुमानजी विराजे हैं। कहा जाता है कि यह मठ 500 साल पुराना है। मठ के महंत बलभद्र दास हनुमानजी के परम भक्त थे। वे गाय के दूध से हनुमानजी का अभिषेक करके उसी दूध का सेवन करते थे। दूध के अलावा कुछ भी नहीं खाते थे।
कालांतर में उन्हीं के नाम पर मठ का नाम दूधाधारी मठ रखा गया।
मुख्य द्वार पर स्थापित स्मृति चिन्ह पर संवत 1610 और सन् 1554 अंकित है। मुगल काल में स्थापित मठ का पुनर्निर्माण अंग्रेजी शासनकाल में हुआ। श्रीराम-जानकी मंदिर का निर्माण पुरानी बस्ती के दाऊ परिवार ने करवाया था। राजस्थान से मूर्ति मंगवाई थी।