कोरबाः कोरबा में हाथी-मानव द्वंद (Elephant-Man Duel in Korba) लगातार जारी है. लेमरू हाथी रिजर्व की घोषणा के बाद इस पर काफी हद तक लगाम लगने की संभावना है लेकिन जब तक हाथी रिजर्व मूर्त रूप नहीं ले लेता, जरूरी इंतजाम नहीं कर लिये जाते, तब तक जंगली हाथियों की दहशत कोरबा और कटघोरा वन मंडल ले इलाकों में जारी है. ताजा मामला कोरबा जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र पसान का है. जहां इन दिनों 43 जंगली हाथियों का एक दल गांव के समीप विचरण कर रहा है. दहशत इतनी है कि ग्रामीण रतजगा करने को विवश हैं. वन अमला भी मुनादी कराकर जान माल की हानि को रोकने के प्रयास में है.
टॉर्च और मुनादी ही सहाराकटघोरा मन मंडल के वन परीक्षेत्र पसान अंतर्गत हाथियों का आवागमन लगातार जारी है. पूर्व में कोरबा वनमंडल में हाथियों आना जाना लगा रहता था. अब वह काफी हद तक कटघोरा वन मंडल की तरफ डायवर्ट हो गए हैं. पिछले लगभग 1 हफ्ते से वन परीक्षेत्र पसान के अलग-अलग गांव के आस पास हाथियों का दल (group of elephants)विचरण कर रहा है. खासतौर पर देर शाम और रात को हाथियों का दल गांव के समीप पहुंच जाता है, जहां वह खेत में लगे धान और अन्य खाद्य पदार्थों की महक से गांव के समीप आ जाते हैं. वन अमले के पास सुरक्षा के लिए मुनादी ही एक कारगर उपाय है.
लोगों को जागरूक कर रहा वन विभाग
वन अमला लाउडस्पीकर के माध्यम से लगातार गांव में मुनादी करा रहा है. टॉर्च से हाथियों को देख ग्रामीणों को उस तरफ नहीं जाने की हिदायत दी जा रही है. जंगली हाथियों की प्रवृत्ति (wild elephants trend) होती है कि यदि उनके सामने कोई व्यक्ति आ जाए, तो वह उसे कुचल देते हैं. इसलिए वन अमले का यह प्रयास है कि किसी भी व्यक्ति से हाथियों का आमना-सामना ना होने पाए. इस संबंध में कटघोरा डीएफओ शमा फारुखी का कहना है कि हाथियों की लगातार निगरानी की जा रही है. हर संभव प्रयास किया जा रहा है कि हाथियों को गांव से दूर रखा जाए. मुनादी के साथ ही सभी कारगर उपाय किए गए हैं.