सरकार ने किया लहसुन लगाने के लिए प्रोत्साहित,अब सरकारी नीतियों के कारण ही नहीं मिल रहा उचित दाम

सागर। एक तरफ सरकार किसानों को उद्यानिकी फसलें लगाने के लिए प्रोत्साहित करती है. दूसरी तरफ सरकार की नीतियों के चलते ही किसानों को उचित दाम हासिल नहीं हो पाते हैं. ताजा मामला लहसुन की खेती (garlic farming in sagar) में सामने आया है. दरअसल, बुंदेलखंड में उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को लहसुन की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया. जब किसान बड़े पैमाने पर लहसुन की खेती करने लगा, तो किसानों को अपनी फसल का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है.

लहसुन का नहीं हो रहा निर्यात
वैसे तो लहसुन की फसल गर्मी के सीजन में आती है, लेकिन मांग सर्दी के मौसम में बढ़ने के कारण ज्यादातर किसान लहसुन को सर्दी के सीजन में बेचना पसंद करते हैं. इस बार किसान को लहसुन का उचित दाम (garlic rate in sagar) नहीं मिल पा रहा है. जानकारों और व्यापारियों का कहना है कि मोदी सरकार द्वारा प्याज और लहसुन का निर्यात बंद किए जाने के कारण और लहसुन का उत्पादन ज्यादा होने के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है.

बुंदेलखंड में बढ़ी लहसुन की खेती
परंपरागत खेती से किसानों को उद्यानिकी फसलों और खासकर नगदी फसलों की तरफ आकर्षित करने के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा बुंदेलखंड इलाके में लहसुन की खेती को प्रोत्साहित करने के प्रयास (method of garlic farming) किए गए थे. इन प्रयासों के चलते बुंदेलखंड में किसान बड़े पैमाने पर लहसुन की खेती करने लगा. मौजूदा परिस्थितियों में देखा जाए, तो सागर जिले के देवरी और केसली विकासखंड में बड़े पैमाने पर लहसुन की खेती की जाने लगी है. इसके अलावा अन्य विकास खंडों में भी किसान लहसुन की खेती करते हैं.

ठंड में मांग बढ़ने से फसल को रोक लेते हैं किसान
वैसे तो लहसुन की फसल गर्मी के सीजन में आती है, लेकिन गर्मी में लहसुन की मांग कम होने के कारण ज्यादातर किसान फसल (garlic storage in sagar) का भंडारण करते हैं. सर्दी के सीजन में लहसुन की मांग बढ़ने पर फसल को बेच देते हैं. मांग ज्यादा होने के कारण किसानों को उचित दाम भी मिल जाता है. ठंड के समय पर गर्मी के सीजन से दो गुना दाम किसानों को मिल जाता है. ऐसी स्थिति में किसान करीब आठ महीने तक अच्छा दाम मिलने का इंतजार करते हैं.

किसानों को मिल रही निराशा
सर्दी का सीजन आते ही लहसुन की मांग बढ़ते ही किसान अपनी लहसुन की फसल बेचने के लिए मंडी पहुंचने लगे हैं, लेकिन किसानों को इस बार ज्यादा दाम नहीं मिल रहा है. लहसुन की क्वालिटी (benefits of garlic) के आधार पर किसानों को 40 रुपये से लेकर 60 रुपये तक दाम मिल रहा है. पिछले सीजन में लहसुन की कीमत 120 रुपये प्रति किलो तक पहुंची थी. किसानों का कहना है कि हम लोग अच्छे दाम मिलने के लिए लहसुन का भंडारण करते हैं. एक तरह से हम जोखिम उठाते हैं क्योंकि मौजूदा सीजन में हमें 40 से लेकर 60 रुपए ही दाम मिल रहे हैं.

किसानों को नहीं मिल रहे सही दाम
सब्जी के थोक विक्रेता बताते हैं कि लहसुन और प्याज के तेजी से दाम बढ़ने के कारण केंद्र की मोदी सरकार ने इन फसलों के निर्यात (export of garlic from sagar) पर रोक लगा दी है. लहसुन देश के बाहर नहीं भेजा जा रहा है और उत्पादन ज्यादा होने के कारण लहसुन की कीमत गिर रही हैं. अगर लहसुन का निर्यात चालू रहता, तो मौजूदा स्थिति में लहसुन के भाव 120 रुपए तक पहुंच सकता था. फिलहाल 40 से 60 रुपए पर दाम ठहरे हुए हैं.

क्या कहता है उद्यानिकी विभाग
उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक के पीडी चौबे का कहना है कि कोरोना महामारी के समय प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली हल्दी, लहसुन और अदरक (ginger garlic paste method) की मांग बढ़ी थी. इस बढ़ी मांग को देखते हुए किसानों ने लहसुन का उत्पादन बढ़ा दिया था. इसी बीच इनके दाम न बढ़े, तो केंद्र सरकार ने निर्यात पर रोक लगा दी. निर्यात पर रोक लग जाने के कारण लहसुन की फसल की खपत घरेलू बाजार में ही हो रही है.

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