नई दिल्ली: आस्था के महापर्व छठ के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इसी के साथ चार दिनों तक चले छठ पर्व का समापन होगा. 11 नवंबर 2021 दिन गुरुवार को सुबह से ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो जाएगी. छठ पूजा के आखिरी दिन उषा अर्घ्य का दिन भी कहा जाता है. इसे पारण भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ व्रत का पारण कर लिया जाता है.
सुबह से ही घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू
छठ पर्व के आखिरी दिन सुबह से ही नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो जाती है. इस दिन व्रती और उनके परिवार के लोग नदी के किनारे बैठकर जमकर गाना-बजाना करते हैं और उगते सूरज का इंतज़ार करते हैं. सूर्य जब उगता है तब उसे अर्घ्य अर्पित किया जाता है, इसके बाद व्रती एक दूसरे को प्रसाद देकर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं. आशीर्वाद लेने के बाद व्रती अपने घर आकर अदरक और पानी से अपना 36 घंटे का कठोर व्रत को खोलते हैं. व्रत खोलने के बाद स्वादिष्ट पकवान आदि खाए जाते हैं और इस तरह पावन व्रत का समापन होता है.
उषा अर्घ्य का समय
छठ पूजा का चौथा दिन 11 नवंबर 2021, दिन गुरुवार है. इस दिन (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय सुबह 06:41 बजे है. उषा अर्घ्य अर्थात इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. यह अर्घ्य सूर्य की पत्नी उषा को दिया जाता है. मान्यता है कि विधि विधान से पूजा करने और अर्घ्य देने से सभी तरह की मनोकामना पूर्ण होती हैं.
इस तरह दें अर्घ्य
1. छठ के अंतिम दिन सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान कर लें.
2. इसके बाद उदित होते सूर्य के समक्ष जल में खड़े हो जाएं.
3.. खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल भर लें.
4. उसी जल में मिश्री भी मिलाएं.
5. तांबे के लौटे में लाल फूल, कुमकुम, हल्दी आदि डालकर सूर्य को यह जल अर्पित करते हैं.
6. दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें.
7. फिर दीप और धूप से सूर्य की पूजा करें और आशीर्वाद मांगे.