रायपुर : छत्तीसगढ़वासियों के लिए थोड़ी राहत की खबर है. जीएसटी मंत्री टीएस सिंहदेव ने प्रदेश में पेट्रोल और डीजल पर वैट कम करने के संकेत दिये हैं. उन्होंने कहा है कि जो भी संभावनाएं हैं, उसका पूरा खाका तैयार कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को प्रस्ताव भेजा जाएगा. हम दूसरे राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर लगे वैट और उसके अंतर की तुलना कर रहे हैं. अगले एक-दो दिन में विभाग से प्रस्ताव तैयार किया जाएगा.
“केंद्र सरकार कर रही होशियारी”
टीएस सिंहदेव ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो रेट कम किया है, वह होना ही चाहिए. ये अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के दाम हैं. रेट यह नहीं होना चाहिए. राष्ट्रीय स्तर पर नीति बनी थी और वह फ्लोटिंग रेट की थी. जब कच्चे तेल के दाम बढ़ेंगे, तब पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ेंगे और जब घट जाएंगे तब रेट भी कम किये जाएंगे. केंद्र सरकार यह होशियारी कर रही है कि एक्साइज की बजाए सेस ले रही है. केंद्रीय पूल में आमदनी के रूप में राशि सेस के माध्यम से एकत्र कर रही है. अव्यावहारिकता यह है कि सेस की राशि राज्यों में नहीं बांटी जाती. केंद्र सरकार शुद्ध आमदनी का जरिया बनाकर अपने पास राशि रख रही है. एक्साइज जो लगता है, वह राज्यों को मिलता है उसे केंद्र सरकार ने काम कर दिया. केंद्र सरकार एक तरफ दिखाने की कोशिश कर रही है कि हम कम करने पर पहल कर रहे हैं, वहीं अपनी आमदनी के जरिए को प्रभावित नहीं होने दे रही है. इसमें राज्यों को नुकसान हो रहा है. एक्साइज कम होगा और 2 राज्यों को मिलने वाले 41 प्रतिशत हिस्से में भी कमी आएगी. उसके ऊपर राज्य सरकारों पर वैट कम करने का दबाव भी बना रही है.
लोगों को राहत मिले, यही हमारा दृष्टिकोण
मंत्री ने कहा कि हमारा दृष्टिकोण है कि लोगों को राहत मिले. मुख्यमंत्री से इस संबंध में बात हुई है, उनसे चर्चा के बाद विभाग से एक प्रपोजल बनाया जाएगा. जिसे मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत किया जाएगा कि जो कमी हुई है, इसके अलावा हम आम नागरिकों को और कोई राहत दे सकते हैं क्या. जीएसटी मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ चारों तरफ से अन्य राज्यों से घिरा है. इन राज्यों की पेट्रोल-डीजल की दरों की तुलना का विवरण मंगाया गया है. अगर हम रेट ज्यादा रखते हैं तो लोग बॉर्डर में दूसरे राज्य में खरीद कर आते हैं. इससे वैट का भी नुकसान होता है. अगर हम थोड़ा कम कर देते हैं तो हमें वॉल्यूम ज्यादा मिलेगी और जो अन्य राज्यों में डीजल भरवाते हैं, वे लोग हमारे राज्य में भर पाएंगे. इससे हमें फायदा होगा.
इन पूरी चीजों का असेसमेंट किया जाएगा. अगर रेट कम किये जाते हैं तो राज्य को कितना घाटा होगा. रेट कम करने से अगर खपत ज्यादा होती है तो हमारी आमदनी में कितना कंपनसेशन होगा. इन सभी बातों को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री को प्रस्ताव जल्द भेजा जाएगा.