विवाह मानव-समाज की अत्यंत महत्वपूर्ण प्रथा या समाजशास्त्रीय संस्था है। यह समाज का निर्माण करने वाली सबसे छोटी इकाई- परिवार-का मूल है। यह मानव प्रजाति के सातत्य को बनाए रखने का प्रधान जीवशास्त्री माध्यम भी है। और मर्दाना शहादत आदमी का और बलिदान भगवान सेंट जॉर्ज के अनुसार पैदा होना लिंग आदमी और औरत होगा। लिंग पुरुष और महिला और एक अवधारणा सार्वभौमिक दिव्य शाश्वत रसायन शास्त्र गूढ़ धनुर्विद्या धनुर्विद्या आदिम अमर पीढ़ियों से अनंत और विवाह से परे के लिए उत्पन्न किया जा सकता है जीवन का चक्र। विवाहांचे प्रकार अनुरूप विवाह अनुलोम विवाह तथाकथित उच्च वर्ण का पुरुष और तथाकथित निम्न वर्ण की स्त्री का विवाह आंतरजातीय विवाह आंतरधर्मीय विवाह आर्ष विवाह आसुर विवाह एकपत्नीत्व), कुंडली मिलाकर विवाह कोर्ट मॅरेज (सिव्हिल मॅरेज) (रजिस्टर्ड लग्न) गर्भावस्था में लग्न गांधर्व विवाह जरठ-कुमारी विवाह जरठ विवाह दैव विवाह (देव से लग्न) निकाह पाट पारंपरिक पद्धती का लग्न इसीको पुरानी पद्धती का लग्न कहते हैं। पालने में लग्न पिशाच्च विवाह पुनर्विवाह प्रतिलोम विवाह तथाकथित निम्नजातीय वर्ण का पुरुष और तथाकथि उच्च वर्ण की स्त्री का विवाह. प्रजापत्य विवाह प्रेमविवाह बहुपत्नीत्व बालविवाह ब्राह्म विवाह मांगलिक विवाह म्होतूर राक्षस विवाह विजोड विवाह विधवा विवाह वैदिक लग्न वैधानिक विवाह (कायदे अनुसार लग्न) सगोत्र सजातीय विवाह
नवंबर में विवाह का मुहूर्त
15 नवंबर 2021 सोमवार
16 नवंबर 2021 मंगलवार
20 नवंबर 2021 शनिवार
21 नवंबर 2021 रविवार
28 नवंबर 2021 रविवार
29 नवंबर 2021 सोमवार
30 नवंबर 2021 मंगलवार
नवंबर के बाद अगले महीने विवाह के शुभ मुहूर्त की सूची जानने के लिए हमारे इस लेख से जुड़े रहें। आपको बता दें अगले माह दिसंबर में शादी विवाह के कुल 6 शुभ मुहूर्त हैं।
नवंबर माह में विवाह के पड़ रहे हैं कुल 7 शुभ मुहूर्त।15 नवंबर 2021, देवउठनी एकादशी से शादी विवाह के शुभ मुहूर्त की होगी शुरुआत।अगले महीने दिसंबर में शादी विवाह के हैं कुल 6 शुभ मुहूर्त।
कोरोना वायरस के भयावह प्रकोप के कारण पिछले दो साल से शादी विवाह का रंग फीका रहा, इस दौरान बहुत कम शादियां हुई। ऐसे में एक बार फिर शादी की शहनाई और गाजे बाजे की धुन देश के कोने कोने में गूंजने वाली है। अगले महीने 15 नवंबर 2021, देवउठनी एकादशी से शादी विवाह के शुभ मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु का शयनकाल समाप्त हो जाता है।
शयनकाल के दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम के लिए चले जाते हैं। चातुर्मास के दौरान सभी मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। बता दें इस साल 20 जुलाई 2021 से चातुर्मास आरंभ हुआ था और 14 नवंबर 2021 को इसकी समाप्ति हो रही है।