कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. दिनभर निर्जला उपवास रखने के बाद चांद देखकर व्रत का पारण किया जाता है. इस बार 24 अक्टूबर, दिन रविवार को करवा चौथ है. करवा चौथ की पूजा किस प्रकार करनी चाहिए, महिलाएं अपने पति की दीर्घ आयु के लिए कैसे व्रत रखें, यह सब जानने के लिए ईटीवी भारत की यह रिपोर्ट पढ़ें. आचार्य धर्मेंद्र शास्त्री से शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा के बारे में भी जानें.
इस करवा चौथ होगी सौभाग्य की प्राप्ति
आचार्य धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार, इस दिन पूजन के साथ-साथ नियम का पालन करना भी बेहद जरूरी है. निर्जला व्रत के साथ ही इस दिन पति-पत्नी को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. धर्मेंद्र शास्त्री के मुताबिक, इस दिन भगवान शिव, गणेश और स्कन्द यानि कार्तिकेय के साथ बनी गौरी के चित्र की सभी उपचारों के साथ पूजा की जाती है. इस व्रत को करने से जीवन में पति का साथ हमेशा बना रहता है. सौभाग्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है.
जानिए, करवा चौथ की पूजा-विधि
करवा चौथ के दिन पूजा के लिए घर की उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ करें. फिर लकड़ी का पाटा बिछाकर उस पर शिवजी, मां गौरी और गणेश जी की तस्वीर या चित्र रखें. बाजार में करवा चौथ की पूजा के लिए कैलेंडर भी मिलते हैं. जिस पर सभी देवी-देवताओं के चित्र बने होते हैं. इस प्रकार देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए. इसके साथ ही एक जल से भरा मिट्टी का कलश स्थापित करना चाहिए और उसमें थोड़े-से चावल डालने चाहिए. अब उस पर रोली, चावल का टीका लगाना चाहिए.
लोग कलश के आगे मिट्टी से बनी गौरी या सुपारी पर मौली लपेटकर भी रखते हैं. इस प्रकार कलश की स्थापना के बाद मां गौरी की पूजा करनी चाहिए, और उन्हें सिंदूर चढ़ाना चाहिए. एक कलश भगवान के लिए और दूसरा कलश चंद्र देव को अर्घ देने के लिए होता है.
कुछ लोग मिट्टी से बना करवा भी रख लेते हैं. मिट्टी या चीनी को करवे पर रखें और तीसरे हिस्से को पूजा के समय महिलाएं अपने साड़ी या चुनरी के पल्लू में बांध लें. कुछ जगहों पर पूड़ी और लड्डू के स्थान पर मीठी पुड़ी भी चढ़ाएं जाते हैं. इसके बाद देवी मां के सामने घी का दीपक जलाएं और उनकी कथा पढ़ें. इस प्रकार पूजा के बाद अपनी साड़ी के पल्लू में रखे प्रसाद और करवे पर रखे प्रसाद को अपने बेटे या अपने पति को खिला दें, और कलश पर रखे प्रसाद को गाय को खिला दें. बाकी पानी से भरे कलश को पूजा स्थल पर ही रखा रहने दें. रात को चन्द्रोदय होने पर इसी लोटे के जल से चन्द्रमा को अर्घ्य दें और घर में जो कुछ भी बना हो, उसका भोग लगाएं. इसके बाद व्रत का पारण करें.
करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 24 अक्टूबर तड़के 3 बजकर 2 मिनट से शुरू
चतुर्थी तिथि समाप्त: 25 अक्टूबर सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक
चन्द्रोदय: शाम 7 बजकर 51 मिनट पर
पूजा का शुभ मुहूर्त: 24 अक्टूबर 2021 को शाम 6.55 बजे से लेकर 8.51 बजे तक
करवा चौथ के दिन विशेष संयोग
24 अक्टूबर को रात 11.35 बजे तक वरीयान योग रहेगा. वरीयान योग मंगलदायक कार्यों में सफलता प्रदान करता है. इसके साथ ही देर रात 01.02 बजे तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा. माना जा रहा है कि ऐसा योग करीब 5 साल बाद बन रहा है.