श्रीनगर । जम्मू और कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हत्या से जुड़े मामलों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सौंप दी गई है। कश्मीर में आतंकी साजिश केस में एनआईए का एक्शन दिखने लगा है। घाटी में आतंकवाद की साजिश रचने के मामले में और गैर-मुस्लिमों के टारगेट किलिंग के मद्देनजर आतंकवाद पर प्रहार करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जम्मू-कश्मीर में 11 जगहों पर छापेमारी की है।
बताया जाता है कि श्रीनगर, बारामूला, पुलवामा, अवंतीपोरा, सोपोर और कुलगाम में एनआईए की छापेमारी जारी है। दरअसल, यह मामला जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन, अल बद्र और उनसे जुड़े द रेसिस्टेंस फ्रंट, पीपुल्स एंटी-फ़ासिस्ट फ्रंट जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के सदस्यों द्वारा हिंसक आतंकवादी हमले करने की साजिश रचने से संबंधित है।
खबर है कि जम्मू-कश्मीर में निर्दोष नागरिकों की हत्याओं के मामलों की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी करेगी और सरकार की ओर से जल्दी ही इस संबंध में आदेश जारी किया जा सकता है। फार्मेसी चलाने वाले माखनलाल बिंदरू, गैर-कश्मीरी वीरेंद्र पासवान, स्कूल की प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और टीचर दीपक चंद समेत कई लोगों की हत्याओं के मामलों में दर्ज एफआईआर पर आगे की कार्रवाई केंद्रीय एजेंसी संभाल सकती है।
घाटी के विभिन्न हिस्सों में इस महीने आतंकवादियों ने दो शिक्षकों और एक दवा विक्रेता समेत कुल 11 लोगों की हत्या कर दी है। आतंकवादियों के हमलों में मारे गए लोगों में से पांच प्रवासी मजदूर थे, जिनमें से चार लोग बिहार के थे। जम्मू-कश्मीर और केंद्र की सरकार का मानना है कि हाल के दिनों में नागरिकों पर बढ़े हमले किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हैं। इन घटनाओं में पाक समर्थित द रेजिस्टेंस फोर्स और अन्य आतंकी संगठनों का हाथ सामने आया है।
इन हत्याओं के कारण जीविका कमाने के लिए कश्मीर जाने वाले प्रवासी मजदूरों में भय व्याप्त हो गया है और बड़ी संख्या में वे पलायन कर रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों मजदूर हर साल मार्च की शुरुआत में चिनाई, बढ़ईगीरी, वेल्डिंग और खेती जैसे कामों के लिए घाटी में आते हैं और दिसंबर में सर्दियों की शुरुआत से पहले घर वापस चले जाते हैं।
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