शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की चांदनी में खीर रखने और उसे प्रसाद के तौर पर खाने की परंपरा है। इस बार पंचांग भेद होने से शरद पूर्णिमा की तारीख को लेकर देश में कई जगह मतभेद हैं। कुछ कैलेंडर में 19 और कुछ पंचांग के मुताबिक 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पर्व मनाया जाएगा।
ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पाण्डेय के अनुसार, जब अश्विन महीने की पूर्णिमा दो दिन हो तो अगले दिन शरद पूर्णिमा उत्सव मनाना चाहिए। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का भी कहना है कि तिथि भेद वाली स्थिति में जब पूर्णिमा और प्रतिपदा एक ही दिन हो तब शरद पूर्णिमा पर्व मनाना चाहिए। व्रत और पर्वों की तिथि तय करने वाले ग्रंथ निर्णय सिंधु में भी ये ही लिखा है।
काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के मुताबिक पूर्णिमा तिथि 19 अक्टूबर, मंगलवार को शाम 6.45 से शुरू होगी और बुधवार की शाम 7.37 तक रहेगी। इसलिए अश्विन महीने का शरद पूर्णिमा पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाना चाहिए। इस दिन सुबह स्नान-दान और पूजा-पाठ किया जाएगा और रात को चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाएगी।