भोपाल। एनवीडीए में इस बार भी फिर खेला हौबे. मामला उन्हीं दो टेंडरों का है, जिनको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा में तनातनी हो गई थी. तकनीकी आधार पर इन टेंडरों को निरस्त कर दिया गया था और फिर से निविदाएं बुलाई थीं. इस बार भी उन्हीं कंपनियों को उपकृत किए जाने के संकेत मिले हैं, जिन्हें पिछले बार टेंडर अवार्ड मिले थे. दवाब की इंतहा यह है कि इस बार भी उन्हीं तीन कंपनियों के अलावा किसी अन्य ने टेंडर में भागीदारी नहीं की है. मामला 8393 करोड़ की दो परियोजनाओं का है. इसके लिए टेंडर जमा करने की आज आखिरी तारीख थी. शाम तक इन्हीं तीन कंपनियों ने अपने टेंडर डाले हैं. यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था, जिसके चलते यह टेंडर निरस्त करने पड़े थे.
टेंडर नया पार्टियां पुरानी
नर्मदा विकास प्राधिकरण यानी एनवीडीए में एक बार फिर हजारों करोड़ के टेंडर में नया खेला हौवे. 8 जून 2021 को जिन 2 परियोजनाओं को लेकर मंत्रालय में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में जो हंगामा हुआ था, वह अभी तक थमा नहीं है. यह दो परियोजनाएं एक चिंकी बैराज और दूसरी खरगौन की है. 8393 करोड़ की इन दोनों परियोजनाओं में टेंडर जमा करने की 14 अक्टूबर आखिरी तारीख थी. यह पहले 30 सितंबर और फिर 8 अक्टूबर थी, जिसे आगे बढ़ा दिया गया था. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी ने सभी विरोधों के बावजूद पूर्व में सभी परियोजनाएं क्रमशः मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड हैदराबाद आरवीआर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद के पक्ष में स्वीकृत कर दी गई थीं. इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाने के बाद बढ़ी हुई दरों की समक्ष अनुमतियां न होने के आधार पर इन परियोजनाओं के फिर से टेंडर हुए हैं. इसमें खास बात यह है कि टेंडर इस बार भी इन दोनों कंपनियों के पक्ष में जाना तय है.
फिर यही तीन कंपनियां
सूत्रों का दावा है कि उच्च स्तरीय दबाव के कारण पिछले बार की भांति इस बार भी कोई नई कंपनी टेंडर नहीं भर सकी है. सिर्फ मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड हैदराबाद, आरवीआर प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद और एलएनटी लिमिटेड मुंबई ही निविदा में भाग ले रही हैं.
करीब 4 से 6 फीसदी कम दरों पर होंगे टेंडर
सूत्रों ने बताया है कि नई दरें पुरानी दरों से पुनरीक्षित कर 23 प्रतिशत राशि बढ़ाकर तय की गई है. पिछले टेंडर में मेघा इंजीनियरिंग और आरवीआर को क्रमशः 1 प्रतिशत कम पर टेंडर आवंटित कर दिए गए थे. डमी के तौर पर एलएनटी ने 20 प्रतिशत ज्यादा पर टेंडर डाला था. चूंकि किसी भी टेंडर में न्यूनतम तीन भागीदारों की जरूरत होती है, इसलिए इस बार भी पिछली बार की तरह एलएनटी तीसरी भागीदार है. सूत्रों का दावा है कि इस बार फर्क सिर्फ इतना है कि जो टेंडर पिछली बार 1 प्रतिशत पर गए थे, वह इस बार 4 से 6 फीसदी कम पर जाएंगे. इन टेंडर में 8 अक्टूबर को ऑनलाइन और इसी दिन कार्यालयीन समय में मैन्युअल सब्मीशन की शर्त है. सूत्रों ने बताया कि दूसरी बार जब टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब इन तीन के अलावा गुजरात की एक कंपनी ने टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने की जोर आजमाइश की थी, लेकिन किसी दवाब के चलते उसने टेंडर में भाग नहीं लिया.
14 साल में एक भी प्रोजेक्ट नहीं हो सका पूरा
नर्मदा नदी में मध्यप्रदेश को अपने हिस्से का 18.24 मिलियन एकड़ फीट पानी उपयोग करने के लिए 2024 तक सभी दस परियोजनाएं पूरी करनी हैं, लेकिन स्थिति है कि पिछले 14 वर्षों तक इन दस परियोजनाओं में से एक भी शुरू नहीं हो सकी है. इन दस में से दो प्रोजेक्ट की पुनरीक्षित दरों पर टेंडर कराए जा रहे हैं.जो सवाल उठाया था कि पुरानी स्वीकृत दरों से 23 फीसदी ज्यादा राशि के टेंडर जारी किए गए थे और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली हाई पाॅवर कमेटी ने उन्हें स्वीकार भी कर लिया था.
खुलासे के बाद हुए थे टेंडर निरस्त
इस मामले में खुलासे के बाद वित्त विभाग की रेवेन्यु असिसस्मेंट कमेटी ने इन निविदाओं को निरस्त कर दिया था, लेकिन इस कमेटी ने उच्च स्तरीय राजनीतिक दवाब के चलते दोनों परियोजनाओं की अनुमानित लागत 6812 करोड़ थी, जो बढ़कर 8393 करोड़ रुपए हो गई है. इतना ही नहीं जो कुल दस परियोजनाएं पहले 21500 करोड़ रुपए की स्वीकृत थीं. उनकी राशि भी बढ़ाकर कुल 28 हजार करोड़ रुपये करने की प्रक्रिया भी चल रही है.
8 जून को हुई थी सीएम और गृहमंत्री में तनातनी
8 जून को हाई पावर कमेटी की बैठक में नर्मदा घाटी के इन दो प्रोजेक्ट का प्रस्ताव कमेटी के सामने लाया गया था. बैठक में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इन दोनों प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी. नरोत्तम मिश्रा का आरोप था कि सभी जानते हैं कि प्रोजेक्ट में कितने का एचडीपीई पाइप लगना है और इसमें कितना कमीशन खाया जाता है, यह सब जानते हैं. गृहमंत्री ने यह भी कहा कि ऐसे कौन से कारण हैं कि एक साल में इन परियोजनाओं की लागत 23 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई. एक साल पहले इन दोनों परियोजनाओं की अनुमानित लागत 6812 करोड़ थी, जो बढ़कर 8393 करोड़ रुपए हो गई है.