प्रत्येक वर्ष जैसे ही पितृ पक्ष का आंरभ होता है, उसके साथ ही देश भर में हिंदू धर्म से संबंध रखने वाले लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर उन्हें प्रसन्न करन में जुट जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं व किंवदंतियों के अनुसार पितरों की मुक्ति के लिए जाने वाले तर्पण कार्य, भोज और पिंडदान को विधि पूर्वक पावन नदी के किनारों पर संपन्न किया जाता है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ स्थानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो देश भर में वहां श्राद्ध करने के लिए प्रसिद्धि हासिल किए हुए हैं। यूं तो कहा जाता है इन स्थानों की गिनती लगभग 55 हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण तर्पण स्थल के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
उज्जैन (मध्यप्रदेश) :
मध्यप्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित सिद्धवट पर श्राद्ध कर्म के कार्य करने का विधान, जिसके चलते हर साल यहां लाखों लोग शामिल होते हैं।
लोहानगर (राजस्थान) :
राजस्थान के लोहानगर को लोहार्गल के नाम से भी जाता हैं। धार्मिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर पांडवों ने अपने पितरों के लिए सुरजकुंड में मुक्ति का कार्य किया था। जिस कारण इस स्थान पर खासकर अस्थि विसर्जन किया जाता है। इसके अलावा बताया जाता है कि यहां तीन पर्वत से निकलने वाली सात धाराएं हैं।
प्रयाग (उत्तर प्रदेश) :
उत्तर प्रदेश के प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर गंगा नदी के तट पर श्राद्ध कार्य या मुक्ति कर्म संपन्न किया जाता है।
हरिद्वार (उत्तराखंड) :
उत्तराखंड के हरिद्वार में हर की पौड़ी पर सप्त गंगा, त्रिगंगा और शकावर्त में मुक्ति कर्म किए जाते हैं।
पिण्डारक (गुजरात) :
गुजरात के पिंडारक प्राभाष क्षेत्र में द्वारिका के पास पितृ तर्पण के लिए एक तीर्थ स्थान है। जहां श्राद्ध पक्ष के दौरान लोग श्राद्ध करते हैं, यहां एक पितृ पिंड सरोवर है।
नाशिक (महाराष्ट्र) :
इनक अतिरिक्त महाराष्ट्र, नाशिक में गोदावरी नदी के तट पर भी श्राद्ध पक्ष के दौरान तर्पण कार्य किए जाते हैं। साथ ही साथ महाराष्ट्र के मेघंकर में स्थित पैनगंगा नदी के तट पर भी मुक्ति कर्म किया जाता है।
गया (बिहार) :
बिहार के लोग गया में फल्गु नदी के तट पर जाकर श्राद्ध पक्ष के दौरान पितृ तर्पण करते हैं।
ब्रह्मकपाल (उत्तराखंड) :
उत्तराखंड में एक स्थान से एक मान्यता जुड़ी हुई हैं जिन पितरों को गया में मुक्ति न मिले या अन्य किसी और स्थान पर मुक्ति नहीं मिलती, उनका श्राद्ध ब्रह्मकपाल नामक स्थल पर श्राद्ध करने से मुक्ति मिल जाती है। बता दें यह स्थान बद्रीनाथ धाम के पास अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है।
लक्ष्मण बाण (कर्नाटक) :
कर्नाटक में स्थित ये स्थान रामायण काल से यानि श्री राम के काल से जुड़ा है। बताया जाता है यहां प्रचलित लक्ष्मण मंदिर के पीछे लक्ष्मण कुंड हैं जहां पर पितरों को मुक्ति दिलवान के लिए कर्म किए जाते हैं। इस स्थान से जुड़ी धार्मिक किंवदंतियों के अनुसार यहां श्री राम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध किया था।