रायपुर : देश की सबसे बड़ी और कठिन मानी जाने वाली इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में बस्तर अंचल के धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर जिले के बच्चे भी परचम लहरा रहे हैं। इस वर्ष की जेईई मेंस परीक्षा में बीजापुर जिले के सात बच्चों ने यह परीक्षा क्रेक की है। इससे इस नक्सल प्रभावित जिले के बच्चों के अरमानों को नए पंख लग गए हैं।
देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल बीजापुर जिले में आदिवासी बच्चों को आईआईटी और एनआईटी जैसे राष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश दिलाने के लिए विषेश कोचिंग दी जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा छू-लो-आसमान कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस विषेश कोचिंग में गरीब परिवारों के प्रतिभावन छात्रों को बड़ी सहुलियत मिल रही है। उन्हें इस कार्यक्रम से निःशुल्क कोचिंग के साथ आवासीय सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। जिला प्रशासन द्वारा डीएमएफ मद से निःशुल्क कोचिंग के लिए उत्कृष्ठ शिक्षक, लाइब्रेरी सहित सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है, इससे विद्यार्थियों में इन प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए बेहतर वातावरण का निर्माण हुआ है। पिछले वर्ष भी अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में 03 बच्चो को सफलता मिली थी।
जेईई मेंस परीक्षा में इस वर्ष बीजापुर जिले के गरीब परिवार के सात बच्चों को सफलता मिली है। ये बच्चे ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं इन बच्चों में मरकापाल भैरमगढ़ से बबलू यादव, पालनार से किशोर कारम, गंगालूर से सुरेश हेमला, विबनेश्वर पंतेगी एवं जीतू पोयम भैरमगढ़ के राहूल लेकाम सहित आवापल्ली से रमेश कुमार बुरका शामिल हैं।
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