भोपाल।
कानून व्यवस्था के मामले में मध्य प्रदेश की शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। अनुसूचित जनजाति (अजजा) वर्ग के खिलाफ प्रदेश में अपराध प्रदेश बढ़े हैं। अजजा वर्ग के खिलाफ हुए अपराध में मध्य प्रदेश पहले नंबर पर है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में वर्ष 2020 में इस वर्ग के उत्पीड़न के 2401 प्रकरण दर्ज हुए हैं, जो वर्ष 2019 में दर्ज 1922 प्रकरण की तुलना में 20 फीसद ज्यादा हैं। इस वर्ग के 59 लोगों की हत्या हुई है और महिलाओं पर हमले के 297 प्रकरण दर्ज हुए हैं। बच्चों के मामले में भी प्रदेश सुरक्षित नहीं है। यहां रोज लगभग 46 बच्चों का अपहरण, दुष्कर्म और हत्या हुई है।
महानगरों में अनुसूचित जाति वर्ग के खिलाफ अपराध में इंदौर 40 मामलों के साथ देश में आठवें स्थान पर है जबकि अहमदाबाद पहले स्थान पर। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में वर्ष 2020 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग से मारपीट, हत्या व प्रताड़ना जैसे 2399 मामलों में 2461 पीड़ित हुए हैं। यानी प्रति लाख 15.7 फीसद। हत्या के 59, हत्या के प्रयास के 30 मामलों में 36 पीड़ित हुए हैं। महिलाओं से जुड़े अपराधों में 25 हजार 640 मामले दर्ज हुए हैं। जिनमें 2339 दुष्कर्म के हैं। यानी हर रोज छह दुष्कर्म हुए।
बाल अपराधों में आई कमी : मध्य प्रदेश में बाल अपराधों में कमी आई है। वर्ष 2019 में बच्चों के खिलाफ 19 हजार 28 मामले सामने आए थे और वर्ष 2020 में 17 हजार आठ मामले सामने आए हैं। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से भी बधो अपराधियों के शिकार बने हैं। यौन शोषण की भी 166 घटनाएं हुई हैं।
वरिष्ठजनों के खिलाफ अपराध बढ़े
इस एक साल में वरिष्ठजनों के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। वर्ष 2019 में 4184 मामले सामने आए थे। जबकि वर्ष 2020 में 4602 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें हत्या के 138, गैर इरादतन हत्या के 2275 मामले हैं। 13 हजार 236 तो मुकदमे लंबित हैं। वहीं साइबर अपराध के 699 और 3235 आर्थिक अपराध के मामले दर्ज हुए हैं।