चीन (China) के वुहान स्थित वायरोलाजी इंस्टीट्यूट (WIV) पर इस बात को लेकर संदेह लगते रहे हैं कि यहीं से घातक महामारी कोविड-19 (Pandemic COVID-19) का कारण कोरोना वायरस लीक हुआ है। अब पब्लिक कागजातों से यह बात सामने आई है कि इस इंस्टीट्यूट में कोरोना वायरस के लिए किए जा रहे टेस्ट के लिए अमेरिका की ओर से आर्थिक सहायता की गई। पिछले माह डेली मेल की एक रिपोर्ट आई जिसके अनुसार, चीन ने रिपब्लिकन सांसदों की उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिसमें बीजिंग पर COVID-19 की उत्पत्ति पर ‘मानव इतिहास में सबसे बड़ा कवर-अप’ का आरोप लगाया गया था।
पिछले माह की शुरुआत मे अमेरिकी रिपब्लिकन पार्टी की एक रिपोर्ट में ये दावा किया गया कि इस कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन में हुई थी। बता दें कि इसके पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना की उत्पत्ति को लेकर चीन को निशाने पर लिया था। इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन भी ट्रंप के स्टैंड पर कायम रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन के वुहान का दौरा कर चुकी है। इस रिपोर्ट से चीन पर फिर से सवाल खड़े हुए हैं।
अमेरिकी सरकार ने 3.1 मिलियन डालर स्वास्थ्य संगठन ‘EcoHealth Alliance’ को दिया ताकि चीन के वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (WIV) में कोरोना वायरस संबंधित तमाम रिसर्च के लिए फंडिंग हो सके। अमेरिका के सीनेटर रांड पाल ने कहा कि इन नए सार्वजनिक कागजात से वुहान में कोरोना वायरस रिसर्च को मिलने वाली अमेरिकी फंडिंग के बारे में पता चला जिससे संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डाक्टर फासी द्वारा बोले गए झूठ सामने आए। दरअसल फासी ने पहले इस बात से साफ तौर पर इनकार किया था कि अमेरिका की ओर से किसी तरह की ऐसी फंडिंग हुई।