भारत सरकार गरीबी रेखा के नीचे के राशन कार्ड में बदलाव करने वाली है। इसके लिए पूरी योजना तैयार की जा चुकी है और जल्द ही राशन कार्ड के मानकों में बदलाव किया जाएगा। यह बदलाव होने के बाद बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा के दायरे से बाहर होंगे और उन्हें वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना का लाभ नहीं मिलेगा। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग जल्द ही फूड सिक्योरिटी एक्ट के मानकों में बदलाव करेगा, जिसके बाद आर्थिक रूप से संपन्न लोग इसके दायरे से बाहर हो जाएंगे।
फूड सिक्योरिटी एक्ट के मानकों में बदलाव के बाद बड़ी संख्या में लोगों को उचित मूल्य की दुकान से राशन का लाभ नहीं मिलेगा। फूड सिक्योरिटी एक्ट के नए मानक तय करने के लिए विभाग राज्यों के साथ कई बैठकें कर चुका है। नए मानकों का प्रारूप लगभग तय किया जा चुका है और जल्द ही नए मानकों के लागू होने की उम्मीद है। नए मानक तय होने के बाद भविष्य में इसी के आधार पर राशन कार्ड के लिए लोगों की पात्रता तय की जाएगी। इसके बाद कई लोग वन नेशन वन राशन कार्य योजना की सुविधा के लिए पात्र नहीं रहेंगे।
क्यों हो रहा है यह बदलाव
मौजूदा समय में देश के 80 करोड़ लोगों को फूट सिक्योरिटी का लाभ मिल रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 1.21 अरब है। ऐसे में भारत लगभग 66 फीसदी आबादी फूड सिक्योरिटी का लाभ ले रही है। इसमें कई लोग ऐसे भी हैं, जो आर्थिक रूप से संपन्न हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार फूड सिक्योरिटी के मानकों में बदलाव कर रही है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडेय के अनुसार जरूरतमंदों को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव किया जा रहा है।
वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग ने बताया है कि दिसंबर 2020 तक 32 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना लागू हो चुकी है। फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत आने वाली 86 फीसदी आबादी इस योजना का लाभ ले रही है। इसका मतलब है कि करीब 69 करोड़ लोगों को इस योजना का लाभ मिल रहा है। इनमें से करीबन 1.5 करोड़ हर महीने अपनी जगह बदलकर वन नेशन वन राशन कार्य योजना के तहत उचित मूल्य की दुकान से राशन ले रहे हैं।