खरगोन। इतिहास में अपराजेय योद्धा के रूप में स्थापित वीर सपूत पेशवा बाजीराव (प्रथम) की जयंती के अवसर पर उनके समाधि स्थल रावेरखेड़ी में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मंत्री तुलसी सिलावट शामिल हुए और पेशवा बाजीराव (प्रथम) प्रथम को श्रद्धांजलि दी. बता दें कि आशीर्वाद यात्रा पर निकले ज्योतिरादित्य सिंधिया खरगोन आए थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि “आज इस पुण्य स्थली में आकर वे अपने आप को गौरान्वित अनुभव कर रहे हैं. डॉक्टरों की सलाह के अनुसार मेरा आना कठिन था, लेकिन मैं खुद को आने से नहीं रोक नहीं पाया.” मुख्यमंत्री चौहान ने पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी का स्मरण करते हुए कहा कि स्वर्गीय वाजपेयी जी ने कहा था कि यह देश हमारे लिए जमीन का टुकड़ा नहीं है, बल्कि यह मां का जीवित स्वरूप है. भारत मां ने अनेक वीरों को जन्म दिया है. बाजीराव पेशवा उन्हीं महान सपूतों में सिरमौर हैं।
बाजीराव पेशवा की समाधि का होगा जीर्णोद्धार
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैंने संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर के साथ बैठक कर, इस वीर भूमि के जीर्णोद्धार और विस्तारीकरण की पूरी रूपरेखा बनायी है. उन्होंने कहा कि यहां होने वाले सभी निर्माण कार्यों में मराठा शिल्पों का ही उपयोग किया जाएगा. यहां आने वाले पर्यटकों और मां नर्मदा की परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए आश्रय स्थल बनाया जाएगा।
सिंधिया के पूर्वजों ने बनाई थी बाजीराव पेशवा की समाधि
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि रावेरखेड़ी उनके लिए बेहद भावनात्मक स्थल है. उनके पूर्वजों ने यहां बाजीराव पेशवा की समाधि बनायी थी. मंत्री सिंधिया ने कहा कि इतिहास के मध्यकाल में जब चारों तरफ से भारत मां को घेरने की कोशिश विदेशी आक्रांताओं द्वारा की जा रही थी, तब डेढ़ सौ सालों तक वीर मराठाओं ने भारत भूमि की अस्मिता बचाने का पराक्रम किया. वीर शिवाजी ने मुगलों के सामने कभी घुटने नहीं टेके. अटक से लेकर कटक तक हिन्द साम्राज्य का भगवा ध्वज मराठाओं ने फहराया था।
रावेरखेड़ी में है बाजीराव पेशवा (प्रथम) की समाधि
खरगोन जिले की सनावद तहसील में स्थित रावेरखेड़ी में बाजीराव पेशवा (प्रथम) की समाधि निर्मित है. बाजीराव पेशवा का जन्म 18 अगस्त सन 1700 में हुआ था. पूरे भारतवर्ष में विजय पताका लहराने वाले बाजीराव की 18 अप्रैल 1740 को रावेरखेड़ी में मृत्यु हुई थी. चौथे मराठा छत्रपति शाहूजी महाराज के समय सन 1720 में उन्हें पेशवे अर्थात प्रधानमंत्री का पद दिया गया था।