RBI का अनुमान, IPO Year हो सकता है 2021, जानें वजह

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मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक के एक लेख में मंगलवार को कहा गया कि घरेलू यूनिकॉर्न उद्यमों के प्रारम्भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के साथ पूंजी बाजार में उतरने से वर्ष 2021 आईपीओ वर्ष बन सकता है. इन आईपीओ से जहां एक तरफ घरेलू शेयर बाजारों में तेजी है वहीं वैश्विक निवेशकों में यह उन्माद भरने का काम कर रहे हैं। यूनिकॉर्न उन स्टार्ट-अप को कहते हैं जिनका बाजार मूल्यांकन एक अरब डॉलर का हो जाता है.हाल के महीनों में नयी कंपनियों द्वारा लाए गए सफल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र में जारी तेजी को दिखाते हैं.रिजर्व बैंक ने ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ विषय पर एक लेख में कहा कि… वृद्धि की रफ्तार वित्तीय बाजारों में नयी ऊर्जा भर रही है. वर्ष 2021 भारत में आईपीओ वर्ष बन सकता है. भारतीय यूनिकॉर्न – गैर-सूचीबद्ध स्टार्ट-अप – द्वारा (आईपीओ की) पहली पेशकश एक फूड डिलीवरी ऐप के शानदार आईपीओ के साथ हुई जिसके लिए 38 गुना ज्यादा आवेदन मिले. इनकी वजह से घरेलू शेयर बाजारों में तेजी का रुख है वहीं वैश्विक निवेशकों में उन्माद है.लेख में जिस फूड डिलीवरी एप का उल्लेख किया गया है वह जोमैटो है जिसका आईपीओ हाल ही में पेश किया गया और उसे तय सीमा से 38 गुणा अधिक आवेदन प्राप्त हुये।
यह लेख रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्र के नेतृत्व में एक टीम ने लिखा है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हों.लेख में आगे एक वित्तीय सेवा ऐप पेटीएम का उदाहरण देते हुए कहा गया कि एक भुगतान और वित्तीय सेवा ऐप द्वारा 2.2 अरब डॉलर जुटाने के लिए प्रस्तावित आईपीओ, भारत के डिजिटलीकरण – डिजिटल भुगतान समाधान, ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स को लेकर निवेशकों के उत्साह को दिखाता है.लेख में कहा गया कि साफ तौर पर एक नये युग की शुरुआत हो चुकी है. ऐसा अनुमान है कि भारत में 100 यूनिकॉर्न हैं. ये कंपनियां विरासत में मिले धन, बैंक ऋण या व्यापार से इतर संपर्कों पर निर्भर नहीं करती बल्कि प्रतिभा और नवोन्मेषी विचारों पर आश्रित हैं.लेख में साथ ही कहा गया कि विनिर्माण गतिविधियों में धीरे-धीरे तेजी और सेवाओं के संकुचन में नरमी के साथ अर्थव्यवस्था में तेजी आ रही है.
लेख के अनुसार कोविड-19 से जुड़े लॉकडाउन के हटने के बाद मांग के जोर पकड़ने के साथ मांग की कुल दशाएं बेहतर हो रही हैं, जबकि मानसून के अपने सामान्य स्तर पर पहुंचने और बुआई गतिविधियों में तेजी आने के साथ आपूर्ति की स्थिति भी सुधर रही है। लेख में कहा गया कि अर्थव्यवस्था में तेजी की पुष्टि करते हुए, विनिर्माण गतिविधि धीरे-धीरे तेज हो रही हैं जबकि सेवाओं का संकुचन कम हो गया है.सहज तरलता की स्थिति से प्रेरित होकर, वित्तीय स्थिति सौम्य रहती है और सुधार में मदद करती है।

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