कश्‍मीर पर UN में फिर पिटा पाकिस्‍तान, इमरान खान को ट्रंप की दो टूक, ‘बातचीत से हल करो द्विपक्षीय मुद्दे’

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पाकिस्‍तानी पीएम इमरान खान ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक से पहले अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को फोन किया था.

नई दिल्‍ली : कश्‍मीर मुद्दे पर एक बार फिर से चीन और पाकिस्‍तान को मुंह की खानी पड़ी है. जम्‍मू कश्‍मीर में अनुच्‍छेद 370 में परिवर्तन के मुद्दे को पाकिस्‍तान की शह पर चीन ने यूएनएससी की बैठक में उठाया. लेकिन यहां शुक्रवार को हुई बैठक में पाकिस्‍तान और चीन को दुनिया के किसी और मुल्‍क का समर्थन नहीं मिला. रूस समेत दूसरे देशों ने भारत का समर्थन किया.

वहीं पाकिस्‍तान को अमेरिका की ओर से भी झटका मिला है. पाकिस्‍तानी पीएम इमरान खान ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक से पहले अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को फोन किया. उनका मकसद ट्रंप से समर्थन मांगने का था. लेकिन डोनाल्‍ड ट्रंप की ओर से पाकिस्‍तानी पीएम इमरान खान को दो टूक जवाब मिला. डोनाल्‍ड ट्रंप ने उनसे कहा कि भारत और पाकिस्‍तान अपने द्विपक्षीय मुद्दे बातचीत से हल करें.


संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्‍तान को मिला झटका.

व्‍हाइट हाउस के डिप्‍टी प्रेस सेक्रेटरी होगन गिडली ने कहा कि राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इस बात को महत्‍व दिया है कि भारत और पाकिस्‍तान अपने मुद्दे द्विपक्षीय बातचीत से हल करें. वहीं संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के एंबेसडर सैयद अकबरुद्दीन ने बैठक के बाद भारत का पक्ष रखा और चीन व पाकिस्‍तान को खरी खरी सुनाई. अकबरुद्दीन ने कहा, ये पूरी तरह से भारत का अंदरूनी मसला है. ये भारत की संवैधानिक व्‍यवस्‍थाओं के तह उठाया गया कदम है. किसी दूसरे देश का इससे कोई लेना देना नहीं है.


संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के एंबेसडर सैयद अकबरुद्दीन.

अकबरुद्दीन ने कहा, अभी हाल में सरकार ने कश्‍मीर पर जो फैसले किए, उसका किसी और से लेना देना नहीं है. हमने राज्‍य के लोगों के बेहतर भविष्‍य के लिए ये फैसला किया है. सरकार जम्‍मू कश्‍मीर और लद्दाख में विकास चाहती है. इसके लिए ये फैसला किया गया है.अकबरुद्दीन ने कहा, एक देश वहां जेहाद का इस्तेमाल कर रहा है और हिंसा भड़काई जा रही है. भारत पाकिस्तान या दुनिया के किसी भी मुद्दे का हल बातचीत ही है. भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में समझौता हुआ और हम उस पर कायम हैं. हम उम्मीद करते हैं पाकिस्तान भी इस पर कायम रहेगा.

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