काबुल अब सिर्फ 80 KM दूर, तालिबान ने अफगानिस्तान के तीन और शहरों में किया कब्जा

तालिबान ने दक्षिण अफगानिस्तान में तीन और प्रांतीय राजधानियों पर नियंत्रण कर लिया है जिसमें हेलमंद प्रांत भी शामिल है। तालिबान धीरे-धीरे राजधानी काबुल में सरकार की घेराबंदी के प्रयास के तहत आगे बढ़ रहा है। हेलमंद की प्रांतीय राजधानी लश्करगाह अफगानिस्तान सरकार के हाथों से फिसल गयी है। लगभग दो दशक के युद्ध के दौरान सैकड़ों की संख्या में विदेशी सैनिक वहां मारे गए थे। तालिबान लड़ाकों ने हाल के दिनों में एक दर्जन से अधिक प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर लिया है। ऐसे में जब अमेरिका कुछ सप्ताह बाद अपने आखिरी सैनिकों को वापस बुलाने वाला है तालिबान ने देश के दो-तिहाई से अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। हेलमंद में प्रांतीय परिषद के प्रमुख अताउल्लाह अफगान का कहना है कि तालिबान ने भारी लड़ाई के बाद प्रांतीय राजधानी लश्करगाह पर कब्जा कर लिया और सरकारी प्रतिष्ठानों पर अपना सफेद झंडा फहरा दिया है।

उन्होंने कहा कि लश्करगाह के बाहर स्थित राष्ट्रीय सेना के तीन ठिकाने सरकार के नियंत्रण में हैं। ज़ाबुल प्रांत में प्रांतीय परिषद के प्रमुख अत्ता जान हकबायन ने कहा कि राजधानी कलात तालिबान के नियंत्रण में चली गई है और अधिकारी पास के एक सैन्य शिविर में हैं और वे वहां से निकलने की तैयारी कर रहे हैं। अफगानिस्तान के दक्षिणी उरुजगन प्रांत के दो जनप्रतिनिधियों ने कहा कि स्थानीय अधिकारियों ने प्रांतीय राजधानी तिरिन कोट को तेजी से आगे बढ़ रहे तालिबान के हवाले कर दिया है। बिस्मिल्लाह जान मोहम्मद और कुदरतुल्ला रहीमी ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की। मोहम्मद ने कहा कि गवर्नर काबुल के लिए प्रस्थान करने के लिए हवाई अड्डे के रास्ते में हैं। इस नवीनतम घटनाक्रम से कुछ घंटे पहले विद्रोहियों ने देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहरों पर तेजी से कब्जा कर लिया था। कंधार और हेरात पर नियंत्रण तालिबान के लिए अब तक की सबसे बड़ी सफलता है। हालांकि काबुल अभी सीधे तौर पर खतरे में नहीं है, लेकिन अन्य जगहों पर नुकसान और लड़ाइयों ने तालिबान की पकड़ को और मजबूत कर दिया है। अनुमान है कि तालिबान का अब देश के दो-तिहाई हिस्से पर कब्जा है और उसने हमले जारी रखे हुए हैं। ऐसे में जब सुरक्षा स्थिति तेजी से बिगड़ रही है अमेरिका ने काबुल में अमेरिकी दूतावास से कुछ कर्मियों को निकालने में मदद करने के लिए 3,000 सैनिकों को भेजने की योजना बनाई है। वहीं ब्रिटेन ने कहा है कि देश छोड़ने वाले ब्रिटेन के नागरिकों की मदद करने के लिए लगभग 600 सैनिकों को अल्पकालिक आधार पर तैनात किया जाएगा।

कनाडा भी अपने दूतावास को खाली करने में मदद करने के लिए विशेष बल भेज रहा है। तालिबान द्वारा फिर से एक क्रूर, दमनकारी सरकार स्थापित करने के भय के बीच हजारों अफगान अपने घरों से भाग गए हैं। कतर में शांति वार्ता रुकी हुई है, हालांकि राजनयिक अभी भी मुलाकात कर रहे हैं। अमेरिका, यूरोपीय और एशियाई देशों ने चेतावनी दी है कि बलपूर्वक स्थापित किसी भी सरकार को खारिज किया जाएगा। वार्ता के लिए अमेरिकी दूत ज़ाल्मय खलीलज़ाद ने कहा, “हम शहरों के खिलाफ हमलों को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हैं और एक राजनीतिक समाधान का आग्रह करते हैं।” पश्चिमी घोर प्रांत में प्रांतीय परिषद के प्रमुख फ़ज़ल हक एहसन ने शुक्रवार को कहा कि तालिबान प्रांतीय राजधानी फ़िरोज़ कोह में प्रवेश कर गया है और शहर के अंदर लड़ाई चल रही है। इस बीच तालिबान ने पश्चिमी बदगीस प्रांत की राजधानी काला-ए-नौ पर कब्जा करने का दावा किया। इसको लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई। तालिबान काबुल के दक्षिण में स्थित लोगार प्रांत में भी आगे बढ़ रहे हैं। उसने प्रांतीय राजधानी पुली-ए अलीम में पुलिस मुख्यालय और साथ ही पास की एक जेल पर कब्जा करने का दावा किया है। यह शहर काबुल से लगभग 80 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।

नवीनतम अमेरिकी सैन्य खुफिया आकलन से पता चलता है कि काबुल 30 दिनों के भीतर विद्रोहियों के दबाव में आ सकता है और अगर मौजूदा रुख जारी रहा तो तालिबान कुछ महीनों के भीतर देश पर पूर्ण नियंत्रण हासिल कर सकता है। यदि तालिबान यही गति बनाए रखता है तो अफगान सरकार को आने वाले दिनों में पीछे हटने और राजधानी और केवल कुछ अन्य शहरों की रक्षा के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। अफगान सुरक्षा बलों और सरकार ने पत्रकारों द्वारा बार-बार पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया है, इसके बजाय वीडियो विज्ञप्ति जारी की है जिसमें तालिबान के आगे बढ़ने को अधिक तवज्जो नहीं दिया गया है। हेरात में तालिबान के लड़ाके ऐतिहासिक शहर में ग्रेट मस्जिद से आगे बढ़ गए और सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि एक सरकारी इमारत से रूक-रूक कर गोलीबारी की आवाज आ रही थी जबकि बाकी के शहर में शांति थी और वहां पर तालिबान का कब्जा हो चुका था। अफगान जनप्रतिनिधि सेमिन बरेकजई ने भी शहर के तालिबान के नियंत्रण में जाना स्वीकार करते हुए कहा कि वहां के कुछ अधिकारी भाग गए हैं। यह तुरंत स्पष्ट नहीं हुआ है छत्रप इस्माईल खान के साथ क्या हुआ था, जिसके बारे में पहले कहा गया था कि वह एक सरकारी भवन में हमले का सामना कर रहे हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कंधार में तालिबान लड़ाकों ने गवर्नर कार्यालय और अन्य इमारतों पर कब्जा कर लिया है। उनके अनुसार गवर्नर और अन्य अधिकारी काबुल के लिए एक उड़ान में सवार होने के लिए भाग गए। उन्होंने अपना नाम गुप्त रखने की यह जानकारी दी क्योंकि सरकार ने अभी तक हार को स्वीकार नहीं किया है। अधिकारियों ने कहा कि तालिबान ने पहले कंधार की एक जेल पर हमला किया था और अंदर के कैदियों को मुक्त कराया था। इससे पहले बृहस्पतिवार को आतंकवादियों ने गजनी शहर पर अपना सफेद झंडे लहरा दिया था। दक्षिणी अफगानिस्तान में, तालिबान के गढ़, लश्करगाह में भारी लड़ाई जारी है। हेलमंद की एक जनप्रतिनिधि नसीमा नियाज़ी ने इलाके को निशाना बनाकर किए जा रहे हवाई हमलों की आलोचना करते हुए कहा कि नागरिकों के घायल होने और मारे जाने की आशंका है। उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान ने अपनी सुरक्षा के लिए असैन्य घरों का इस्तेमाल किया और सरकार ने नागरिकों पर ध्यान दिए बिना हवाई हमले किए।” ऑस्ट्रेलिया स्थित सुरक्षा फर्म ‘द कैवेल’ के अनुसार, अफगान वायुशक्ति के सीमित और अव्यवस्थित होने के कारण, विमानन ट्रैकिंग डेटा के अनुसार अमेरिकी वायुसेना के बी -52 बमवर्षक, एफ -15 लड़ाकू जेट, ड्रोन और अन्य विमान देश भर में लड़ाई में शामिल थे।

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