आज कल क्रोमो थेरेपी से इलाज की एक वैकल्पिक विधि सामने आई है। इसमें इलाज के लिए सौर स्पेक्ट्रम के सात रंगों (बैंगनी, इंडिगो, नीले, हरे, पीले, नारंगी, लाल) का उपयोग किया जाता है।
क्या है क्रोमो थेरेपी
है।
स्किल्स
अगर आप क्रोमोथेरेपी में करियर बनाना चाहते हैं तो आपमें कुछ स्किल्स होने चाहिए। सबसे पहले तो आपमें इस क्षेत्र में काम करने की रूचि होनी चाहिए। साथ ही लोगों की मदद करने का जज्बा होना चाहिए। एक बेहतर क्रोमोथेरेपिस्ट बनने के लिए आपको व्यक्ति पर प्रत्येक रंग के प्रभाव के बारे में जानकारी होनी चाहिए। आपको लोगों से जुड़कर काम करना होता है, इसलिए आपके कम्युनिकेशन स्किल्स भी उतने ही बेहतर होने चाहिए। साथ ही आपको उतना ही अच्छा श्रोता भी होना चाहिए ताकि आप अपने पेशेंट की समस्याओं को बेहतर तरीके से सुन व समझ सकें।
योग्यता
क्रोमोथेरेपिस्ट बनने के लिए आपके पास क्रोमोथेरेपी में डिप्लोमा या बैचलर डिग्री होनी चाहिए। इसके साथ−साथ बायोलॉजी, केमिस्टी और फिजिक्स में ज्ञान होना जरूरी है। भारत में केवल कुछ ही इंस्टीट्यूट क्रोमोथेरेपी का कोर्स कराते हैं। इन अधिकतर इंस्टीट्यूटट में पांच वर्षीय बैचलर ऑफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज (बीएनवाईएस) पाठ्यक्रम के जरिए क्रोमोथेरेपी के बारे में सिखाया जाता है। इस क्षेत्र में कदम रखने के लिए आपका 12वीं पास होना चाहिए। वहीं कलर थेरेपी में डिप्लोमा व बैचलर कोर्स की अवधि छह महीने से एक साल है। वहीं बैचलर सर्टिफिकेशन कोर्स दो साल का होता है।
संभावनाएं
एक क्वालिफाइड क्रोमोथेरेपिस्ट हॉस्पिटल्स से लेकर नेचुरोपैथी क्लिनकि, हेल्थ सेंटर्स में काम कर सकता है। इसके अलावा आप खुद का थेरेपी क्लिनकि भी खोल सकते हैं। वहीं आप रिसर्च वर्क से जुड़कर काम कर सकते हैं या फिर एजुकेशन में भी काम कर सकते हैं।
आमदनी
क्रोमोथेरेपिस्ट की आमदनी उनके स्किल्स और उनके अनुभव के आधार पर तय होती है। अधिकांश क्रोमोथेरेपिस्ट प्रतिघंटे के आधार पर शुल्क तय करते हैं।
प्रमुख संस्थान
इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन, कोलकाता
महेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिसिन, जयपुर
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