मध्‍य प्रदेश में बाढ़ से बिगड़े हालात, 1,281 गांव डूबे, 6,220 व्यक्तियों को बचाया

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भोपाल।

अतिवर्षा के कारण प्रदेश के कई इलाकों में बाढ़ से हालात बिगड़ गए हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग में बड़ी संख्या क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं। एक हजार 281 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। छह हजार 220 लोगों को अब तक बाढ़ से सुरक्षित निकाला जा चुका है। एक हजार 60 व्यक्ति अभी भी पानी से घिरे गांवों में है, जिन्हें सुरक्षित निकालने का काम किया जा रहा है। बाढ़ के हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को सुबह आपात बैठक बुलाई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बाढ़ के हालात की जानकारी ली और भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार हर संभव सहायता करेगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री से राहत कार्यों के बारे में जानकारी ली। उधर, बाढ़ से उपजे हालात पर चर्चा के लिए गुरुवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है। इसमें विधानसभा में प्रस्तुत होने वाले मौजूदा वित्तीय वर्ष के प्रथम अनुपूरक अनुमान (बजट) पर भी चर्चा की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने बुधवार को मंत्रालय के सिचुएशन रूम में वरिष्ठ अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई और इसमें राहत कार्यों की समीक्षा की गई। इस दौरान उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कमिश्नर, कलेक्टर व पुलिस अधीक्षकों से बात की। सेना के जवान शिवपुरी, दतिया, ग्वालियर और श्योपुर में बचाव कार्य में जुटे हैं और हेलिकॉप्टर से बाढ़ में फंसे लोगों को निकाला जा रहा है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री से राहत कार्यों की जानकारी ली और कहा कि केंद्र सरकार से जो भी सहायता चाहिए होगी, वो उपलब्ध कराई जाएगी। उधर, बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राहत शिविरों में बेहतर व्यवस्था की जाए। भोजन, पीने के पानी, डॉक्टर और दवाओं की व्यवस्था की जाए। बाढ़ और अतिवृष्टि से ध्वस्त अधोसंरचना को तत्काल दुरुस्त करने का काम किया जाए। बैठक के बाद वे बाढ़ग्रस्त इलाकों के हवाई सर्वे के लिए रवाना हो गए। देर शाम अपर मुख्य सचिव गृह डॉ.राजेश राजौरा ने बताया कि ग्वालियर-चंबल संभाग में केंद्रीय और राज्य आपदा बल की 35 टीमें, सेना के छह कॉलम (एक में अस्सी जवान), वायुसेना के पांच हेलिकॉप्टर और 115 नावों से बचाव कार्य किया जा रहा है।

मोबाइल नेटवर्क के लिए विशेष व्यवस्था

बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रभावित जिलों में संचार नेटवर्क जल्द से जल्द फिर से स्थापित करने को लेकर केंद्रीय अधिकारियों से चर्चा की। उन्होंने बताया कि तत्काल व्यवस्था के रूप में प्रभावित जिलों में इंफ्रास्ट्रक्चरल रोमिंग की अनुमति दी जा रही है। इससे किसी भी नेटवर्क से यदि सिग्नल मिलता है तो अन्य नेटवर्क के फोन भी इस नेटवर्क पर काम करेंगे। मुख्यमंत्री राष्ट्रीय राजमार्ग को जल्द से जल्द ठीक करने के निर्देश दिए। साथ ही बताया कि चंबल नदी का जल स्तर बढ़ रहा है। कोटा-बैराज से पानी छोड़ा गया है। इससे मुरैना और भिंड में बाढ़ की स्थिति बन सकती है। इसके मद्देनजर निचले इलाकों में बसे गांवों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने के निर्देश दिए।

नुकसान के आकलन के लिए होगा सर्वे

मुख्यमंत्री ने बताया कि अतिवृष्टि से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए सर्वे किया जाएगा। राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रविधानों के तहत प्रभावितों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक डेढ़ हजार से ज्यादा घरों को पूर्ण या आंशिक नुकसान हुआ है। शासकीय संपत्ति को भी बड़े पैमाने पर क्षति पहुंची है। नुकसान का आकलन करने के बाद केंद्र सरकार से राहत पैकेज की मांग की जाएगी।

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