भोपाल ।
मध्य प्रदेश में लोकसभा की एक और विधानसभा की तीन सीटों पर होने वाले उपचुनाव के नतीजे भले ही सत्ता के समीकरण को प्रभावित न करें लेकिन सरकार के काम-काज की परीक्षा अवश्य बनेंगे। इन सीटों के परिणाम चौथी पारी खेल रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार के 16 महीने के कार्यकाल पर मुहर लगाएंगे।
पिछले साल भाजपा के सत्ता में आने के बाद नवंबर में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे जिसमें सभी सीटें जीतने के कांग्रेस के दावे पर भाजपा की जीत भारी पड़ गई थी। उपचुनाव में कमल नाथ ही कांग्रेस का चेहरा थे, इसलिए कांग्रेस की हार को कमल नाथ से जोड़ दिया गया लेकिन इसके बाद हुए दमोह उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा का गढ़ रहे दमोह में हार से भाजपा के लिए असहज स्थिति बनी थी। इसका दोहराव न हो, इसलिए अभी से मंत्रियों को उपचुनाव वाले क्षेत्रों की जिम्मेदारी दे दी गई है। मंत्री अरविंद भदौरिया बुधवार को पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर रहे तो 30 जुलाई को मंत्री विश्वास सारंग जोबट क्षेत्र का दौरा करेंगे। इसी प्रकार अन्य मंत्रियों को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह मंत्री संबंधित क्षेत्रों में जनता से सीधा संवाद करेंगे। राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, बीपीएल कार्ड जैसी सुविधाएं मिलने की समीक्षा करेंगे। फोकस इस बात पर रहेगा कि अगले कुछ माह में उपचुुनाव वाले क्षेत्रों में जनशिकायतों को समाप्त किया जाए।
सफलताओं को आगे रखेगी शिवराज सरकार
शिवराज सिंह चौहान ने पिछले साल मार्च में सत्ता की कमान संभाली तब से वह कोरोना संकट से उपजी विषम परिस्थितियों से लगातार जूझ रहे हैं। बेहतरीन प्रबंधन से उन्होंने कोरोना को लगभग मात दे दी थी लेकिन महाराष्ट्र में केस बढ़ने और मध्य प्रदेश में लोगों के निश्चिंत हो जाने से कोरोना की दूसरी लहर ने मध्य प्रदेश को चपेट में ले लिया। इस बार भी शिवराज सिंह चौहान ने दिन-रात एक कर इस चुनौती का सामना किया। शिवराज सरकार कोरोना की तीसरी लहर को लेकर जबरदस्त तैयारी कर चुकी है। ऐसे में उपचुनाव में भले ही मंच से कोरोना प्रबंधन को लेकर सरकार अपना पक्ष न रखे, लेकिन कार्यकर्ताओं के माध्यम से इसे जन-जन तक पहुंचाने की कोशिश होगी। इसके अलावा जनकल्याणकारी योजनाओं पर भी भाजपा का फोकस रहेगा।