सतना। जहां एक ओर ICMR (Indian Council of Medical Research) ने कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर सबसे ज्यादा खतरा बताया है, वहीं स्कूल बंद होने से ऑनलाइन क्लास भी बच्चों के लिए गंभीर बिमारी की वजह बनती नजर आ रही है. नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल और टीवी को ज्यादा देर तक देखने से मायोपिया (myopia) नाम की घातक बीमारी होने की आशंका है. लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लास से बच्चों में इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ी है. हालांकि इस बीमारी का इलाज है, बच्चे और वयस्क इस बीमारी से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतते है, तो मायोपिया होने की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है।
कोरोना काल में बढ़ रहे मायोपिया (myopia) बीमारी के मरिजों की स्थिति जानने के लिए हमारे संवाददाता ने मध्य भारत के सबसे बड़े नेत्र अस्पताल सद्गुरु सेवा ट्रस्ट नेत्र चिकित्सालय जानकी कुंड चित्रकूट पहुंचे. संवाददाता ने अस्पताल के नेत्र विशेषज्ञ प्रधन्या सेन से मायोपिया बीमारी की पूरी जानकारी ली।
संवाददाता ने नेत्र चिकित्सक से की बातचीत
संवाददाता– मायोपिया (Myopiya) बच्चों की आंखों को किस प्रकार से प्रभावित करती है, इस बीमारी से क्या दिक्कतें होती हैं?
नेत्र चिकित्सक– मायोपिया की इस बीमारी से वयस्क ही नहीं बल्कि बच्चे भी ज्यादा प्रभावित हो रहे है. जैसे वयस्कों ने कोरोना के दौर में वर्क फ्रॉम होम किया, वैसे ही बच्चों ने भी पढ़ाई और प्ले फ्रॉम होम किया. मोबाइल और टीवी स्क्रीन में ज्यादा समय व्यतीत करने से बच्चों की आंखों में मायोपिया का ज्यादा इफेक्ट पड़ रहा है. लॉकडाउन के दौरान बच्चे घर से बाहर नहीं निकाले. जिसकी वजह से बच्चों को सूर्य की रोशनी नहीं मिली. आज के इस समय में मायोपिया के केस 4 गुना बढ़ चुके. दूर दृष्टि केस भी बढ़ रहे है. जो कि एक बड़ी चिंता का विषय हैं. इसका मुख्य कारण बच्चे मोबाइल, आईपैड, टीवी स्क्रीन का ज्यादा उपयोग करना है.
संवाददाता– मायोपिया (Myopiya) से बचने के लिए क्या उपाय है?
नेत्र चिकित्सक– मायोपिया को रोकने के लिए बच्चों की ऑनलाइन स्टडी, वीडियो गेम, टीवी स्क्रीन को कम करना. बच्चों का पेरेंट्स को समय-समय पर ध्यान देना चाहिए. बच्चों को इन सभी सुविधाओं से बचाने के लिए बच्चों के परिजनों की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए, ताकि इस बीमारी से बचा जा सके.
संवाददाता– मायोपिया बीमारी के क्या लक्षण होते है?
नेत्र चिकित्सक– मायोपिया बीमारी यानी दूर दृष्टि का दोष है. दूर की वस्तुएं साफ नहीं दिखाई देंगी. मायोपिया की वजह से आंखों की लंबाई बढ़ जाती हैं. आंख का पर्दा उखड़ने का खतरा होता है. इस बीमारी से धीरे-धीरे आंखों की रोशनी जाने लगती है.
संवाददाता– मध्य भारत के सबसे बड़े अस्पताल में आंखों की किन किन बीमारियों का इलाज होता है.
नेत्र चिकित्सक– चित्रकूट का सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय यह मध्य भारत का आंखों (eyes) के इलाज के सबसे बड़ा अस्पताल है. आंखों से संबंधित सभी प्रकार के बीमारियों का उपचार यहां पर किया जाता है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बाल नेत्र चिकित्सा केंद्र हैं. जहां बच्चों के आंखों का उपचार किया जाता है. यहां पर नॉर्मल तरीके से आंखों में चश्मा, मोतियाबिंद, तिरछा दिखाई देना, बच्चों की आंखों की रेटिना, कॉर्निया जैसी आंखों की बीमारियों का इलाज किया जाता है।
परिजनों को रखना होगा विशेष ध्यान
नेत्र विशेषज्ञ प्रधन्या सेन कहती है कि कोविड-19 महामारी के दौर में अब मायोपिया जैसी खतरनाक बीमारी से बच्चों को बचाने की आवश्यकता है. इस कार्य की नैतिक जिम्मेदारी बच्चों के परिजनों की है. बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा, वीडियो गेम्स और टीवी स्क्रीन के मामले पर परिजनों को समय-समय पर ध्यान देना चाहिए, ताकि किसी बड़ी अनहोनी से बचा जा सके. यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है. बच्चों को कम दिखाई देना और साफ स्क्रीन नजर ना आना अगर ऐसे कोई भी लक्षण बच्चों की आंखों में हो तो तत्काल बच्चे को नेत्र चिकित्सालय में जरूर दिखाएं।