डिंडौरी।
जिले को लगभग एक दशक बाद फिर नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल करने के बाद पुलिस नक्सलवाद पर अंकुश लगाने के लिए एक्शन प्लान को अंतिम रूप दे रही है। छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे क्षेत्र में तीन पुलिस चौकी के साथ पांच कैंप तैयार करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। यहां हॉकफोर्स के साथ सीआरपीएफ के लगभग तीन सौ जवान तैनात करने की भी तैयारी है। वन विभाग के साथ प्रशासन की मदद से पुलिस महकमा प्लान तैयार कर शासन को भेज रहा है। गौरतलब है कि जिले के तीन थाना करंजिया, बजाग व समनापुर को पूरी तरह नक्सल प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया है। इन क्षेत्रों के सीमावर्ती गांवों में नक्सलियों की सुगबुगाहट चर्चाओं में रही है।
125 किलोमीटर का क्षेत्र प्रभावित
जिले की सीमा मंडला और छत्तीसगढ़ राज्य से बिल्कुल लगी हुई है, जिसके कारण लगभग 125 किलोमीटर लंबे इलाके को नक्सल प्रभावित घोषित किया गया है। सुरक्षा व चौकसी बढ़ाने के लिए तीन नई पुलिस चौकियां व कैंप बनाने के लिए स्थान का चयन कर लिया गया है। वन विभाग से जमीन मिलते ही इस पर कार्य शुरू हो जाएगा। गौरतलब है कि जब पडोसी राज्य छत्तीसगढ़ में नक्सलियों पर फ़ोर्स का दबाव बढ़ने के साथ नक्सली कोई वारदात को अंजाम देते हैं तो उसके बाद वे सीधे सुरक्षित पनाहगाह डिंडौरी जिले के सीमावर्ती ग्रामों में शरण लेने पहुंचते हैं।
सीमावर्ती क्षेत्र में चलेगा जागरुकता अभियान
वन विभाग व प्रशासन की मदद से नक्सल प्रभावित क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्रामों का समुचित विकास करने के लिए पुलिस विभाग के द्धारा एक्शन प्लान बनाया गया है। बताया गया कि प्लान के तहत उन क्षेत्रों में निवासरत आदिवासी समुदाय के सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र में विकास कार्य कराए जाएंगे। शिक्षा का स्तर और सुधारने के भी प्रयास कराए जाने की योजना है। छत्तीसगढ़ से लगे सीमावर्ती ग्रामों में पुलिस के द्धारा जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।
2011 में प्रभावित जिलों की सूची से हटा था जिला
डिंडौरी जिला पहले भी नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में शामिल रहा है। नक्सल गतिविधियां लंबे समय तक न होने के चलते केंद्र सरकार ने वर्ष 2011 में डिंडौरी जिले को नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से हटा दिया था। अब ख़ुफिया रिपोर्ट के आधार पर दोबारा नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में डिंडौरी का नाम फिर से शामिल कर लिया गया है।