जम्मू कश्मीर से धारा 370 (Article 370) को हटाए जाने को कश्मीर घाटी से 1990 के दशक में विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों ने स्वागत किया.
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 (Article 370) हटाने का ऐलान कर दिया. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा भी खत्म हो गया. वहीं सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटने का ऐलान भी किया. इसके अनुसार जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा. उधर, जम्मू कश्मीर से धारा 370 (Article 370) को हटाए जाने को कश्मीर घाटी से 1990 के दशक में विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों ने स्वागत किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे क्षेत्र में शांति का माहौल स्थापित होगा और मूल स्थान पर सम्मान एवं गरिमा के साथ उनकी वापसी का मार्ग प्रशस्त होगा.
दुनियाभर में समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संस्था ‘ग्लोबल कश्मीरी पंडित डायस्पोरा’ (GKPD) ने एक बयान में कहा कि यह निर्णय भारतीय संघ की क्षेत्रीय, राजनीतिक और सांस्कृतिक एकता को मजबूत करता है. बयान में कहा गया है, ‘पांच अगस्त, 2019 का दिन देश के इतिहास में एक ऐसे दिन के तौर पर दर्ज होगा जो समूचे भारतीय संघ पर संसद की संप्रभुता की मोहर लगाता है.’ इसमें कहा गया है, ‘संसद में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा प्रस्तुत मसौदा विधेयक भारत की अखंडता और संप्रभुता के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले हमारे महान नेताओं जैसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और अन्य के आदर्शों की पुष्टि करता है.’
जम्मू कश्मीर विचार मंच के अध्यक्ष मनोज भान ने कहा, ‘अनुच्छेद 370 समाप्त होने के साथ ही भारत सरकार जम्मू कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों के करीब लाने में समर्थ होगी.’ उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडित समुदाय को उम्मीद है कि मोदी सरकार जल्द ही घाटी में उनकी वापसी के लिए एक ‘रोड मैप’ तैयार करेगी. भान ने कहा, ‘हम घाटी में एक अलग समझौता चाहते हैं जहां सभी कश्मीरी पंडित एक साथ रह सकें.’ ‘रूट्स इन कश्मीर’ से अमित रैना ने कहा कि इस निर्णय ने भारतीय संघ में कश्मीर के पूर्ण एकीकरण को लेकर जताए जा रहे संदेह को दूर करने का काम किया है. कश्मीर समिति दिल्ली से सुमीर चांगरु ने दावा किया कि 1990 के दशक में लगभग 7.5 लाख कश्मीरी पंडितों को घाटी से भागने के लिए मजबूर किया गया था.
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