भोपाल। मध्य प्रदेश में तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. जिसके लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. वहीं बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस खंडवा लोकसभा उपचुनाव पर है. जिसमें जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए उन मंत्रियों को सम्मान दिया गया है, जो वहां पर बीजेपी को जीत दिला सकते हैं. कमल पटेल को खंडवा का चुनाव प्रभारी बनाया गया है. पूर्व विधायक जसवंत सिंह हाडा और किसानों को साधने के लिए बंशीलाल गुर्जर को जिम्मेदारी दी गई है. विधानसभा उपचुनाव के लिए भी जिम्मेदारी बांट दी गई है.
खंडवा लोकसभा के लिए BJP का प्लान
कमल पटेल को मैनेजमेंट का जिम्मा सौंपा गया है, क्योंकि उनकी विधानसभा का क्षेत्र खंडवा से लगा हुआ है. यही वजह है कि कमल पटेल वहां के सियासी समीकरणों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझते हैं. वहीं जसवंत सिंह हाड़ा की बात करें तो वह नंदकुमार सिंह चौहान के करीबी रहे हैं. चुनाव के दौरान उन्होंने मैनेजमेंट भी संभाला है, जिस वजह से वह भी खंडवा लोकसभा सीट के सियासी समीकरण को बखूबी जानते हैं. यदि नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे को टिकट मिला तो विरोधियों के साथ-साथ जातिगत समीकरण और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने का जिम्मा हाडा पर रहेगा. किसानों को साधने की जिम्मेदारी किसान मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बंशीलाल गुर्जर को दी गई है.
मांधाता विधानसभा एक आदिवासी बाहुल्य सीट है. विजय शाह आदिवासी वर्ग से आते हैं, इसी वजह से विजय शाह को मांधाता की जिम्मेदारी दी गई. प्रदेश मंत्री कविता पाटीदार मालवा से आती हैं और ये दिवंगत नेता भेरूलाल पाटीदार जो पटवा सरकार में मंत्री रहे हैं उनकी बेटी हैं. ओबीसी को साधने के लिए पाटीदार को संगठन की तरफ से तरजीह मिली है.
बुरहानपुर जिले की नेपानगर सीट और उसकी जिम्मेदारी मंत्री तुलसी सिलावट को दी गई है. कांग्रेस से सुमित्रा कास्डेकर ने बीजेपी का दामन थाम लिया है, उन्हें भी बीजेपी ने अहम जिम्मेदारी सौंपी है. चूंकि इस सीट पर उनकी जाति का वर्चस्व है, इस वजह से बीजेपी को इस विधानसभा क्षेत्र में फायदा मिल सकता है. बुरहानपुर सीट वैसे तो अर्चना चिटनीस के प्रभुत्व का क्षेत्र माना जाता है, लेकिन पार्टी ने इंदर सिंह परमार जो कि शिक्षा मंत्री हैं उनको जिम्मा दिया है.
पंधाना आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में गिना जाता है, इसकी जिम्मेदारी उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, संगठन से अनिल जैन के साथ सांसद शंकर लालवानी को दी गई है. शिक्षा के क्षेत्र में यहां पर बीजेपी सौगात देगी. खासतौर पर कॉलेज शिक्षा और उससे जुड़े रोजगार की जिम्मेदारी मोहन यादव को सौंपी गई है. मोहन यादव संघ के करीबी हैं और आदिवासियों को साधने के लिए उन्हें तैनात किया गया है.
बागली विधानसभा भी खंडवा लोकसभा में आती है. यहां पर संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर और पूर्व सांसद और प्रदेश उपाध्यक्ष चिंतामणि मालवीय को जिम्मेदारी दी गई है. यहां से पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी 40 साल विधायक रहे हैं. हालांकि उनके बेटे दीपक जोशी अभी पार्टी से नाराज चल रहे हैं, यहां उनको साधने की जरूरत बीजेपी को पड़ेगी.
एससी वर्ग से आने वाले मंत्री जगदीश देवड़ा को भीकनगांव और बड़वाह की जिम्मेदारी दी गई है. विवादों से दूर रहने वाले जगदीश देवड़ा को दो विधानसभा की जिम्मेदारी सौंपी गई है. वहीं उनको सांसद सुधीर गुप्ता का साथ मिलेगा.
तीन विधानसभा में भी बीजेपी ने बांटी जिम्मेदारी
निवाड़ी की पृथ्वीपुर सीट पर बीजेपी को पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह के पुत्र से मुकाबला करना है. तेजतर्रार और मैनेजमेंट के माहिर मंत्री अरविंद भदौरिया को जिम्मेदारी दी गई है. बता दें, ऑपरेशन लोटस में अरविंद भदोरिया की अहम भूमिका थी, इसके साथ ही भारत सिंह कुशवाह, मुकेश सिंह चतुर्वेदी, ललिता यादव और एक और नेता को यहां मैदान में तैनात किया गया है.
सतना जिले के रैगांव विधानसभा के उपचुनाव के लिए विंध्य के नेताओं को मोर्चे संभालने की जिम्मेदारी दी गई है. जिसमें रामखेलावन पटेल, बिसाहूलाल सिंह, बृजेंद्र प्रताप सिंह, यह तीनों मंत्री काम करेंगे. जबकि संगठन की तरफ से सांसद गणेश सिंह, पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला, शरदेंदु तिवारी, योगेश ताम्रकार, राजेश पांडे रहेंगे.
आदिवासी सीट अलीराजपुर जिले की जोबट विधानसभा के लिए दो मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. मंत्री विश्वास सारंग, प्रेम सिंह पटेल और सांसद गजेंद्र पटेल, विधायक रमेश मेंदोला और वहां के स्थानीय नेता कल सिंह भांबर, जयदीप पटेल और संगीता सोनी को संगठन की तरफ से मोर्चा संभालने के लिए कहा गया है.