नई दिल्ली ।
कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच चार बार के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राज्यपाल थावर चंद्र गहलोत को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इस बीच, बीएस येदियुरप्पा कार्यवाहक सीएम बने रहेंगे। पिछले कई हफ्तों से येदियुरप्पा के बाहर होने और किसी और को मुख्यमंत्री की कमान सौंपने के कयास लगाए जा रहे थे। येदियुरप्पा ने अपनी सरकार के 2 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम में इस्तीफे का एलान किया। राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद उन्होंने कहा कि आलाकमान से उन पर कोई दवाब नहीं है।
येदियुरप्पा ने कहा, ‘इस्तीफा देने के लिए किसी ने मुझ पर दबाव नहीं डाला। ये मैंने खुद फैसला लिया ताकि सरकार के 2 साल पूरे होने के बाद कोई और मुख्यमंत्री का पद संभाल सके। मैं अगले चुनाव में भाजपा को सत्ता में वापस लाने के लिए काम करूंगा। उन्होंने कहा कि दो साल कर्नाटक की सेवा करने का मौका देने के लिए मैं पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का आभारी हूं।
कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने सीएम बीएस येदियुरप्पा का इस्तीफा स्वीकार करते हुए उन्हें अगले सीएम के शपथ लेने तक कार्यवाहक सीएम के रूप में बने रहने को कहा है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा जल्द ही कर्नाटक में पर्यवेक्षक भेजेगी। केंद्रीय पार्टी नेतृत्व और राज्य पार्टी नेतृत्व सीएम पद के लिए अगले चेहरे पर चर्चा करेंगे।
इस बीच मुख्यमंत्री पद के लिए कई नेताओं के नाम चर्चा में हैं। पंचमासली लिंगायत समुदाय कई महीनों से मुख्यमंत्री पद की मांग कर रहा है। बसनगौड़ा रामनगौड़ा पाटिल यतनाल, अरविंद बेलाड और मुरुगेश निरानी सहित समुदाय के भाजपा नेताओं को दौड़ में सबसे आगे माना जाता है। कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई का भी नाम लिया जा रहा है। बीएम येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं, जो कर्नाटक का सबसे बड़ा समुदाय है जिसमें लगभग 17 प्रतिशत आबादी शामिल है। यह समुदाय 35 से 40 प्रतिशत विधानसभा सीटों का परिणाम निर्धारित कर सकता है।
रविवार को विभिन्न लिंगायत मठों के संतों ने बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में एक सम्मेलन आयोजित किया और येदियुरप्पा को अपना समर्थन दिया। बालेहोसुर मठ के डिंगलेश्वर स्वामी ने कहा कि येदियुरप्पा को नहीं बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘येदियुरप्पा जी के नेतृत्व में समाधान खोजा जाना चाहिए। उन्हें बदला नहीं जाना चाहिए। अगर उन्हें हटाया जाता है तो कर्नाटक को और समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।’