भारत में कोरोना की तीसरी लहर किस वजह से दे सकती है दस्‍तक, केंद्र सरकार ने संसद में दी जानकारी

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नई दिल्‍ली ।

केंद्र सरकार ने लोकसभा में कहा है कि कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर या तो वायरस में बदलाव की वजह से या अतिसंवेदनशील आबादी के कारण आ सकती है। सरकार ने यह भी कहा कि यह महामारी के प्रबंधन के लिए विभिन्न औषधीय और गैर-औषधीय उपायों पर भी निर्भर है। एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि टीकाकरण रोग को गंभीर होने से बचाता है और प्रतिरक्षा में भी मददगार है। यह भविष्य में भी महामारी के प्रभाव को कम करने में मददगार होगा।

पर्याप्त सुरक्षा देते हैं देश में उपलब्‍ध टीके

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने यह भी कहा कि देश में टीकाकरण के लिए इस्‍तेमाल किए जा रहे टीके संक्रमण के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा देते हैं। ये अस्पताल में भर्ती होने के मामलों को रोकने में सहायक हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा डेल्टा वैरिएंट के रूप में कोरोना की तीसरी लहर आने को लेकर चेतावनियों पर मंडाविया ने स्पष्ट किया कि भारत या विश्व स्तर पर कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि यह बड़ी संख्‍या में बच्‍चों को संक्रमित करती है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में कोरोना की कई लहरें देखी गई हैं।

67.6 फीसद व्यक्तियों में पाई गई कोरोना एंटीबाडी

वहीं लोकसभा में स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के टीकाकरण को पूरा करने की कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं की जा सकती है लेकिन इस साल दिसंबर इसके पूरा होने जाने की उम्मीद है। उन्‍होंने यह भी बताया कि चौथे सीरो सर्वे में छह साल से अधिक उम्र के 67.6 फीसद व्यक्तियों में कोरोना एंटीबाडी पाई गई है। यह सीरो सर्वे 14 जून से छह जुलाई के बीच देश के 20 राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश के 70 जिलों में कराया गया था।

सक्रिय मामलों में गिरावट

वहीं केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना महामारी की दूसरी लहर में पिछले एक दिन में सक्रिय मामलों में 3,881 की गिरावट आई है और कुल एक्टिव केस 4,05,513 रह गए हैं, जो कुल मामलों का 1.3 फीसद है। इस दौरान 35,342 केस पाए गए हैं, जबकि एक दिन पहले 40 हजार से ज्यादा नए मामले मिले थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार सुबह आठ बजे अपडेट किए गए आंकड़ों के मुताबिक दैनिक और साप्ताहिक संक्रमण दर पांच फीसद से नीचे बने हुए हैं।

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