- गुरुवार को दिल्ली में शाह-नड्डा से मिले थे येदियुरप्पा, 31 जुलाई को विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे
- कर्नाटक के मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत स्वीकृत मंत्री पद 34 हैं, येदि के लिए कैबिनेट गठन चुनौतीपूर्ण
भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा शुक्रवार को राज्यपाल वजुभाई वाला से मिलने राजभवन पहुंचे। उन्होंने कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा पेश किया। शपथ ग्रहण समारोह शाम 6 बजे होगा। 31 जुलाई को येदि को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। 23 जुलाई को कुमारस्वामी बहुमत साबित नहीं कर पाए थे। विश्वास मत प्रस्ताव गिरने से कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार सिर्फ 14 महीने ही चल पाई। इसके बाद येदियुरप्पा चौथी बार सरकार बनाने के लिए केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे थे।
सरकार बनाने की रणनीति पर चर्चा के लिए गुरुवार को कर्नाटक के भाजपा नेताओं का प्रतिनिधिमंडल गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के लिए दिल्ली पहुंचा। इसमें भाजपा नेता जगदीश शेट्टार और अरविंद लिम्बावली समेत वरिष्ठ नेता शामिल थे। चर्चा के बाद इन नेताओं ने कहा था कि सरकार बनाने पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व का होगा।
येदियुरप्पा के लिए मंत्रिमंडल गठन चुनौतीपूर्ण
भावी मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के लिए मंत्रिमंडल का गठन सबसे बड़ी चुनौती होगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 बागियों समेत 56 विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने 3 या इससे ज्यादा चुनाव जीते हैं। इन सभी को उम्मीद है कि नई सरकार में उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी या फिर बड़ा रोल। लेकिन, कर्नाटक में मुख्यमंत्री समेत केवल 34 पद स्वीकृत हैं। बताया जा रहा है कि येदि बागियों समेत इन वरिष्ठों को भी नाराज करना नहीं चाहते।
स्पीकर ने तीन विधायकों को अयोग्य घोषित किया
विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार ने गुरुवार को निर्दलीय विधायक आर. शंकर समेत कांग्रेस के दो बागी विधायक रमेश एल.जे. और महेश कुमाथली को अयोग्य घोषित किया। बागी विधायकों ने एचडी कुमारस्वामी सरकार से समर्थन वापस लिया था। स्पीकर को कांग्रेस और जेडी(एस) के बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेना है। स्पीकर ने कहा, ”मैं इस मामले में किसी फैसले पर पहुंचने के लिए विवेक का इस्तेमाल करूंगा ताकि सुप्रीम कोर्ट ने मुझ पर जो भरोसा दिखाया है, वह कायम रहे। बागी विधायकों के मेरे पास आने की समयसीमा खत्म हो चुकी है। कानून सभी के लिए बराबर है। फिर वो मजदूर हो या फिर देश का राष्ट्रपति।”
चार दिन चर्चा के बाद फ्लोर टेस्ट में फेल हुए थे कुमारस्वामी
23 जुलाई की शाम को कुमारस्वामी सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई थी। विश्वास मत के दौरान स्पीकर को हटाकर सदन में विधायकों की संख्या 204 थी। बहुमत के लिए 103 का आंकड़ा जरूरी था। कांग्रेस-जेडीएस के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि विरोध में 105 वोट पड़े। कुमारस्वामी 14 महीने से 116 विधायकों के साथ सरकार चला रहे थे, लेकिन इसी महीने 15 विधायक बागी हो गए। यहीं से सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ गई थीं।