भोपाल। ग्वालियर और ओरछा का चयन हिस्टॉरिक अर्बन लैंडस्केप डेवलपमेंट के लिए किया गया है. इससे मध्यप्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में विकास होगा और रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे. सतपुड़ा और भेड़ाघाट का भी इसमें चयन किया गया है. मंगलवार को आयोजित हुए कार्यक्रम में हिस्टॉरिक अर्बन लैंडस्केप के सत्र का वर्चुअल शुभारंभ हुआ. इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन को यूनेस्को के प्रयासों से बढ़ावा मिलेगा. संगीत सम्राट तानसेन का जन्म ग्वालियर के पास हुआ. ग्वालियर और ओरछा अपनी कला के कारण देश और दुनिया में प्रसिद्ध हैं.
देश के दो शहर बनारस और अजमेर का पुष्कर इस स्कीम में पहले से शामिल हैं. जानकारी के मुताबिक यूनेस्को और मप्र टूरिज्म बोर्ड के संयुक्त तत्वाधान में उक्त हिस्टॉरिक अर्बन लैंडस्केप (HUL) प्रोजेक्ट शुरू हो रहा है. इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि इसमें उक्त दोनोंं शहरों की ऐतिहासिक धरोहरोंं को शहरी योजना के तहत सहेजा जाएगा. इस प्रोजेक्ट के लिए अलग से नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे. ये नोडल अधिकारी ही यूनेस्को के विशेषज्ञों के साथ ऐतिहासिक इमारतों की जानकारी संग्रहित कर गाइड लाइन तैयार करेंगे.
ग्वालियर और ओरछा का चयन हिस्टॉरिक अर्बन लैंडस्केप डेवलपमेंट में होने से कई फायदा भी मिलेगा. ऐतिहासिक महत्व की धरोहरों का विकास और नियोजित प्लानिंग हो सकेगी. दिल्ली-आगरा से वापस जाने वाले टूरिस्ट ग्वालियर आएंंगे. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ग्वालियर की पहचान बनेगी. इसके अलावा शहर में आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी. पुरातत्व महत्व की इमारतों के दस्तावेज इकट्ठे कर उनका सर्वेक्षण और विकास होगा. क्षेत्र के लोगों को इस प्रोजेक्ट में सहभागिता से उन्हें रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.मप्र टूरिज्म बोर्ड के इस कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर शामिल रहे. कार्यक्रम में यूनेस्को के संचालक सहित अन्य प्रतिनिधि, प्रमुख सचिव पर्यटन शिव शेखर शुक्ला, यूनेस्को के प्रमुख वास्तुविद निशांत उपाध्याय सहित अन्य अफसर भी मौजूद थे.