नई दिल्ली । पंजाब विवाद को कांग्रेस जितना सुलझाने की कोशिश कर रही है, वह उतना ही उलझता जा रहा है। करीब दो माह की मशक्कत के बाद पार्टी ने सुलह का फॉमूर्ला तय किया था, पर कैप्टन अमरिंदर सिंह के सख्त विरोध को देखते हुए फैसले पर रोक लगा दी है। नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है। इस मुलाकात में राहुल गांधी और प्रदेश प्रभारी हरीश रावत मौजूद थे। इस मुलकात के बाद हरीश रावत ने कैप्टन की तारीफ करने में कोई कोर कसर नहीं छोडी। नाराजगी के बारे में सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि कोई कम्युनिकेशन गैप है, तो वह दखेंगे। नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की खबरों से कैप्टन नाराज हैं। सिद्धू को अध्यक्ष बनाने का अभी ऐलान नहीं हुआ है, पर कैप्टन ने दस जनपथ को एक नोट भेजकर अपनी नाराजगी दर्ज कराई है। इस बीच, कैप्टन को समझाने की कोशिश जारी है। प्रदेश प्रभारी हरीश रावत जल्द कैप्टन से मुलाकात कर सकते हैं। इस बीच, लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने एक ट्वीट कर मामले को और उलझा दिया। मनीष ने वही दलील दी है, जो सिद्धू को अध्यक्ष बनाए जाने के खिलाफ कैप्टन देते रहे हैं। उन्होंने प्रदेश की आबादी का धार्मिक और जातिगत आंकड़ा पेश करते हुए किसी हिंदू नेता को ही नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की वकालत की है। पंजाब विवाद पर प्रदेश प्रभारी हरीश रावत अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप चुके हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष जो फैसला करेगी, उसे घोषित कर दिया जाएगा। पर रावत ने गुरुवार को जिस तरह मीडिया में बयान दिया, उससे पार्टी नेतृत्व नाराज है। क्योंकि, हरीश रावत के बयान के बाद ही विवाद बढ़ा है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि रावत को मीडिया में कोई संकेत देने के पहले कैप्टन को भरोसे में लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस तरह की अटकलें कई दिन से लगाई जा रही थीं, पर उस वक्त कैप्टन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, पर जब प्रदेश प्रभारी ने संकेत दे दिए, तो उन्हें लगा कि पार्टी फैसला कर चुकी है और विवाद बढ़ गया।
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