CM शिवराज की तीनों बेटियों का विवाह, अपनों की तरह सारे रीति-रिवाज निभाए, कन्यादान के वक्त भावुक नजर आए मुख्यमंत्री

मध्यप्रदेश विदिशा

विदिशा। जिले के बाढ़ वाले गणेश मंदिर में गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तीनों दत्तक बेटियों का विवाह संपन्न हुआ. मुख्यमंत्री शिवराज और उनकी पत्नी साधना सिंह ने तीनों बेटियों का कन्यादान किया. विदिशा के बाढ़ वाले गणेश मंदिर पर सुंदर सेवाश्रम में पली बढ़ी प्रीति, राधा और सुमन की धूमधाम से शादी हुई. जिसके बाद तीनों बेटियों को खुशी-खुशी विदा किया गया. हालांकि शादी के वक्त मुख्यमंत्री शिवराज को जरूर थोड़ा भावुक होता देखा गया, उनकी आंखों में आंसू नजर आए थे.

पिता और माता के रूप में सीएम शिवराज और उनकी पत्नी साधना सिंह ने पूरे रीति-रिवाजों के साथ शादी की सभी रस्में निभाईं. सीएम शिवराज अपने परिवार के साथ एक दिन पहले से ही विदिशा में शादी समारोह की जिम्मेदारियां भी संभाल रहे थे. गुरुवार को जब शादी का मुहूर्त आया, तो परिवार के सभी सदस्य खरीददारी से लेकर मेहमानों का स्वागत जैसी तमाम जिम्मेदारी खुद ही निभाते नजर आए.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी तीनों दत्तक बेटियों को गैस-चूल्हे से लेकर गृहस्थि का सारा सामान दिया. वहीं सीएम की धर्मपत्नी साधना सिंह ने भी एक मां का फर्ज निभाते हुए मेहंदी रस्म सहित मातापूजन भी करवाया. शादी समारोह में मंत्री प्रभुराम चौधरी भी शामिल हुए थे.

daughters of cm shivraj got married

दूल्हों का आदर-सतकार

सरकारी नौकरी में हैं तीनों दूल्हे

बता दें, सीएम की तीनों दत्तक बेटियों के दूल्हे सरकारी कर्मचारी हैं. प्रीति की शादी रोहन नामक युवक से हुई है, रोहन विदिशा नगर पालिका में कर्मचारी हैं. वह विदिशा के ही निवासी हैं. राधा की शादी सोनू मेहरा नाम के युवक से हुई है, सोनू भी नगर पालिका में काम करते हैं. वह भी विदिशा के ही रहने वाले हैं. वहीं सुमन की शादी प्रशांत से हुई है, जो कि निर्वाचन शाखा के कर्मचारी हैं. प्रशांत रायसेन जिले के बरेली तहसील के रहने वाले हैं.

बेटियों की शादी के बाद का संदेश

अपनी तीनों दत्तक बेटियों की शादी के बाद सीएम काफी खुश दिखे. उन्होंने सभी को इस नेक काम में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. सीएम ने कहा कि समाज का हर वह व्यक्ति जो सक्षम हो, उसे अनाथ बेटियों का दायित्व उठाना चाहिए.

आश्रम में पली-बढ़ी बेटियां

मुख्यमंत्री शिवराज को साल 1998 में तीनों बेसहारा मिली थीं. इनमें से दो सगी बहनें हैं. बेटियों की उम्र करीब ढाई से 5 साल की थी, जब शिवराज उन्हें लेकर आए थे. शिवराज उस वक्त सांसद हुआ करते थे, जब उन्होंने तीनों की जिम्मेदारी ली थी. इसके बाद बेटियों की मुखर्जीनगर स्थित श्री सुंदर सेवा आश्रम में रखकर देखभाल की गई. इनकी पढ़ाई-लिखाई से लेकर शादी तक का इंतजाम आश्रम द्वारा ही किया गया.

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