जगदलपुर ।
दुर्दांत नक्सल कमांडर रावुलु श्रीनिवास उर्फ रमन्ना के बेटे रावुलु रंजीत उर्फ श्रीकांत ने बुधवार को तेलंगाना के डीजीपी एम महेंद्र रेड्डी के समक्ष हैदराबाद में सरेंडर कर दिया। उसके सरेंडर से दण्डकारण्य में नक्सल आंदोलन को बड़ा झटका लगा है। रंजीत का पिता रमन्ना नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। वह छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की राज्य इकाई दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) का सचिव भी था।
बस्तर में रमन्ना नक्सलियों का सुप्रीम कमांडर था। 2020 में सुकमा के जंगलों में हार्ट अटैक से उसकी मौत हुई थी। रंजीत की मां माड़वी सावित्री डिवीजनल कमेटी की सदस्य है व किस्टारम एरिया कमेटी में अब भी सक्रिय है। माता पिता दोनों राज्य के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष की वजह से जीवन भर भूमिगत रहे। इसी दौरान 1998 में दण्डकारण्य के जंगल में रंजीत का जन्म हुआ। रंजीत ने बचपन से यही जाना है कि सत्ता बंदूक की नली से आती है। उसे शुरू से क्रांति का पाठ पढ़ाया गया।
उसकी प्रारंभिक शिक्षा नक्सलियों के जनताना सरकार की ओर से पट्टापाढू या पुट्टम गांव में संचालित स्कूल में हुई। वहां उसे नवजनवादी क्रांति, हथियार चलाने आदि की ट्रेनिंग दी गई। छठवीं तक पढ़ाई करने के बाद रमन्ना ने उसका एडमिशन निजामाबाद के काकतीय स्कूल में आर श्रीकांत, पिता श्रीनू के नाम से करवा दिया। यहां उसने दसवीं तक पढ़ाई की।
छुट्टियों में वह शबरी एरिया कमेटी के कमांडर नागेश की मदद से माता पिता से मिलने जंगल आता रहा। दसवीं की पढ़ाई पूरी कर 2015 में वह गुरिल्ला आर्मी का सदस्य बना। इसी साल एक मुठभेड़ में नागेश मारा गया। इसके बाद रमन्ना ने यह सोचकर आगे पढ़ाई के लिए रंजीत को बाहर नहीं भेजा कि पुलिस को भनक लग सकती है। 2015 से 2017 तक रंजीत बस्तर के जंगलों में आदिवासियों को नए प्रजातांत्रिक अधिकारों की शिक्षा देता रहा। इसके बाद उसने नक्सलियों की बटालियन ज्वाइन कर ली। नवंबर 2019 में वह प्रमोट होकर प्लाटून पार्टी कमेटी का सदस्य बन गया।