नई दिल्ली। देश की बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगाने के लिए कानून बनाए जाने की मांग उठती रही है. अब देश में कठोर जनसंख्या कानून बनाए जाने को लेकर राज्यसभा में एक बिल पेश किया गया है. भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, हरनाथ सिंह यादव और अनिल अग्रवाल ने राज्यसभा में एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया है.
इस बिल में एक बच्चा नीति को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रावधान किए जाने की सिफारिश की गई है. वहीं दो से ज्यादा बच्चा पैदा करने पर सरकारी नौकरी छीनने और मतदान करने, चुनाव लड़ने और राजनीतिक पार्टी बनाने के अधिकार को समाप्त कर देने की बात भी कही गई है. अगर सभापति से अनुमति मिलती है तो इस बिल पर संसद के इसी सत्र में चर्चा हो सकती है,
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 11 जुलाई को प्रदेश में जनसंख्या नीति घोषित करने वाले हैं. उत्तर प्रदेश में चुनाव को देखते हुए इस मुद्दे पर संसद से लेकर सड़क तक राजनीति गरमाने के आसार हैं.
बिल में है ये प्रावधान
अगर कोई दंपती एक बच्चे के जन्म के बाद ऑपरेशन करा लेता है (और दूसरा बच्चा न पैदा करने की बात कहता है) तो ऑपरेशन कराने वाले पति या पत्नी को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए. इसके अलावा इस एक बच्चे के लड़का होने पर 50 हजार रुपये और लड़की होने पर एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए. इसके अलावा इस बच्चे को पढ़ाई के समय केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन, मेडिकल-इंजीनियरिंग या मैनेजमेंट जैसे व्यावसायिक कोर्स करने के दौरान प्राथमिकता के साथ प्रवेश और फीस में माफी प्रदान किए जाने का प्रावधान किया गया है. बिल में कहा गया है कि अगर कोई दंपती दो बच्चा पैदा करता है तो उसके लिए कोई अतिरिक्त छूट या लाभ नहीं दिया जाएगा.
दो से अधिक बच्चे पर कठोर कानून
बिल के मसौदे में दो से अधिक बच्चा पैदा करने वाले जोड़ों के लिए कठोर कानून बनाने की बात कही गई है. मसौदे के अनुसार, अगर कोई दंपती सरकारी नौकरी में है और इसके बाद भी वह तीन बच्चा पैदा करता है तो उसकी सरकारी नौकरी खत्म कर दी जानी चाहिए. इसके अलावा ऐसे दंपती को वोट देने, राजनीतिक पार्टी बनाने या पंचायत से लोकसभा स्तर तक किसी भी प्रकार का चुनाव लड़ने, या इन संस्थाओं के लिए नामांकित किए जाने के अधिकार पर हमेशा के लिए प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए.
तीन से अधिक बच्चा पैदा करने वालों को किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी न देने, सरकारी या प्राइवेट कंपनियों में ग्रेड-1 से ग्रेड-4 स्तर तक कोई नौकरी न दिए जाने का कठोर सुझाव दिया गया है. ऐसे लोगों को राजनीतिक दल के साथ-साथ किसी अन्य संगठन के बनाने या इनमें कोई पद धारण करने पर भी प्रतिबंध लगा दिए जाने की बात कही गई है.
अश्विनी उपाध्याय द्वारा तैयार किए गए इस ड्राफ्ट में वकील सुब्रमण्यम स्वामी का सुझाव भी शामिल है. उन्होंने राज्यसभा सदस्य के रूप में इसे प्राइवेट मेंबर बिल के रूप में लाने में भी प्रमुख भूमिका निभाई है. इस बिल को ड्राफ्ट करने के लिए अश्विनी उपाध्याय की प्रशंसा भी की है.