मध्य प्रदेश में जीका वायरस को लेकर अलर्ट, संदिग्ध मामलों की जांच करने के निर्देश

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भोपाल ।

कोरोना वायरस को लेकर खौफ अभी लोगों का गया नहीं है कि जीका ने भी डराना शुरू कर दिया है। केरल में जीका वायरस की दस्तक के बाद मध्य प्रदेश में भी अलर्ट जारी हो गया। स्वास्थ्य संचालनालय में उप संचालक डॉ. हिमांशु जायसवार ने सभी जिलों को शुक्रवार को पत्र लिखकर जीका के खतरे से आगाह किया है। पत्र में कहा गया है जीका का संदिग्ध मरीज मिलने पर जांच कराने में देरी नहीं करें। साथ ही ऐसे मरीजों को आइसोलेशन में रहने की सलाह दें। केरल से आने वाले लोगों को लक्षण दिखते हैं तो विशेष निगरानी करने को कहा गया है। साथ ही सभी सीएमएचओ को जिम्मेदारी दी गई कि वह जिले के सभी निजी अस्पतालों को भी जीका को लेकर सतर्क करें।

बता दें कि प्रदेश में जीका की सबसे पहले 2018 में दस्तक हुई थी। यहां नवंबर में तीन मरीज मिले थे। इसके बाद कुल मरीजों का आंकड़ा 130 तक पहंुच गया था। भोपाल में 44 मरीज मिले थे। हालांकि, किसी मरीज की इस बीमारी से मौत नहीं हुई थी।

तीन जगह होती है जांच

प्रदेश में जीका वायरस की जांच तीन जगह पर होती है। इसमें गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल की वायरोलॉजी लैब,एम्स और एनआइआरटीएच जबलपुर शामिल है। सैंपल भेजने के अगले दिन जांच रिपोर्ट आ जाती है।

जीका बुखार के लक्षण

2 से 7 दिन तक बुखार, आंखे लाल होना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, छाती या हाथों में खसरा के जैसे चकत्ते/दाने ।

कैसा फैलता है जीका बुखार

यह बीमारी जीका नामक एक वायरस की वजह से होती है। एक व्यक्ति से दूसरे में यह बीमारी एडीज मच्छर के जरिए फैलती है। यही मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया भी फैलाता है।

क्या है इलाज

जीका बुखार का अलग से कोई इलाज नहीं है। ऐसे में जो लक्षण हैं उन्हीं का इलाज किया जाता है। रोगी का बुखार चार-पांच दिन बाद भी ठीक नहीं होता तो अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने बताया कि सिर्फ जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति की मौत नहीं होती। सात दिन में यह बीमारी अपने आप ठीक हो जाती है।

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