बिहार के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार चौंकाने वाला रहा। तमाम कोशिशों के बाद भी जनता दल यूनाईटेड (JDU) केवल एक मंत्री पद ले पाया तो चिराग के चाचा पशुपति पारस विरोध के बाद भी मंत्रिमंडल का हिस्सा बन गए। सुशील मोदी का इंतजार, इंतजार ही रह गया।
वहीं, रविशंकर प्रसाद केन्द्रीय मंत्रिमंडल से बाहर हो गए तो केन्द्र सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे की कुर्सी जाते-जाते बच गई। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के इस्तीफे के साथ ही ये खबरें भी तेज हो गई कि स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे की कुर्सी भी चली गई है। दावा किया जाने लगा कि कोरोना के दौरान खराब स्वास्थ्य प्रबंधन ने दोनों मंत्रियों की कुर्सी ले ली, लेकिन आखिरी समय में ये चर्चा महज कोरी चर्चा बनकर रह गई। असल में अश्विनी चौबे बच गए। अश्विनी चौबे बिहार के बक्सर से सांसद हैं।
सेफ माने जा रहे रविशंकर प्रसाद की कुर्सी गई
पटना साहिब से सांसद और बिहार भाजपा की राजनीति में प्रभावी माने जाने वाले रविशंकर प्रसाद को केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा। एक साथ तीन-तीन विभागों को देख रहे रविशंकर प्रसाद का इस्तीफा बिहार के लिए चौंकाने वाला है। रविशंकर प्रसाद बिहार से केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों में सबसे सेफ माने जा रहे थे। रविशंकर प्रसाद के इस्तीफे की खबर शपथ ग्रहण समारोह के महज आधे घंटे पहले सामने आई।
ललन सिंह और सुशील मोदी को नहीं मिली मंत्रिमंडल में जगह
जदयू के ललन सिंह का नाम केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होनेवाले नेताओं में सबसे पक्का नाम माना जा रहा था, लेकिन ललन बाहर रह गए। 2 साल पहले सांकेतिक हिस्सेदारी लेने से इनकार कर चुके नीतीश कुमार को आखिरकार वही समझौता करना पड़ा। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में उन्हें सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री की हिस्सेदारी मिली।
आरसीपी सिंह केन्द्रीय मंत्री बने। सुशील मोदी का हाल भी कुछ ऐसा ही है। सुशील मोदी का बिहार भाजपा की तरफ केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जाना लगभग तय माना जा रहा था, लेकिन आखिरी वक्त में उनका भी पत्ता साफ हो गया।