प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसद आरक्षण देने का लॉलीपॉप एक बार फिर से भूपेश बघेल सरकार ने मतदाताओं को दिखाना शरू कर दिया है। हालांकि, फैसले को लागू करने की कवायद तेज कर दी गई है, लेकिन इस पर कानूनी अड़चन के मद्देनजर यह सियासी कदम से ज्यादा कुछ नहीं है। इसके लिए सरकार ने जिला और नगरीय क्षेत्रों के लिए अलग-अलग सर्वे कमेटी गठित कर दी है। ओबीसी आरक्षण के लिए रिटायर्ड जिला एवं सत्र न्यायाधीश छबिलाल पटेल की अध्यक्षता में दो साल पहले एक आयोग का गठन भी किया गया था।
बताते चलें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 अगस्त 2019 को राज्य में जातिगत आरक्षण में बदलाव की घोषणा की थी। इसमें एसटी के 32 फीसद आरक्षण को यथावत रखते हुए एससी का 12 से बढ़कर 13 और ओबीसी का 14 से सीधे 27 फीसद बढ़ाने की घोषणा की गई थी। इसके बाद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसद आरक्षण की घोषणा की गई। हालांकि, सरकार के इस फैसले को कोर्ट मे चुनौती दी गई है। इसके बाद सरकार ने सर्वे की प्रक्रिया शुरू की है।
अभी यह तय नहीं हो पाया है कि इस फैसले को कब तक लागू करने की सरकार की मंशा है। लेकिन कानूनी अड़चनों को देखते हुए इसे अभी सियासी लॉलीपॉप से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है ।