आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आषाढ़ नवरात्रि शुरू होते हैं। इस साल गुप्त नवरात्रि रविवार 11 जुलाई से शुरू हो रहे हैं और 18 जुलाई को समाप्त होंगे। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में जहां नौ देवियों की विशेष पूजा का प्रावधान है, वहीं गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में पूजी जाने वाली 10 महाविद्याओं में मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी हैं।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रि के लिए घटस्थापना 11 जुलाई 2021, दिन रविवार को किया जाएगा। घटस्थापना के लिए सुबह 05 बजकर 31 मिनट से सुबह 07 बजकर 47 मिनट तक का समय शुभ है। घटस्थापना की कुल अवधि 2 घंटे 16 मिनट की है। घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक है। प्रतिपदा तिथि 10 जुलाई को सुबह 07 बजकर 47 मिनट से शुरू होगी, जो कि 11 जुलाई को सुबह 07 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी।
सामग्री
मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र के अलावा सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, बंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल आदि सामग्री शामिल होती है।
पूजन विधि
गुप्त नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की कैसे पूजा करनी चाहिए
गुप्त नवरात्रि के दौरान आधी रात को मां दुर्गा की पूजा की जाती है।
मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और चुनरी अर्पित करें।
इसके बाद मां दुर्गा के चरणों में पूजा सामग्री को अर्पित करें।
मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है।
सरसों के तेल से दीपक जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए।