जुलाई के चार श्रेष्ठ मुहूर्त में फेरे नहीं लिए तो करना पड़ेगा चार माह इंतजार

अशुभ माने जाने वाला पंचक सोमवार को शुरू हो गया है, यह पांच दिनों तक रहेगा। अमूमन पंचक के दौरान लोग किसी भी तरह के नए कार्य का शुभारंभ नहीं करते। पंचक के दौरान मृत्यु संस्कार के नियमों का विशेष रूप से पालन किया जाता है। अब पांच दिनों तक पंचक रहने से विवाह के शुभ मुहूर्त पांच दिनों तक नहीं है। इसके बाद जुलाई महीने में भी केवल चार श्रेष्ठ महूर्त हैं, जिनमें फेरे लिए जा सकेंगे।

20 जुलाई को देवशयनी एकादशी पर देवगण विश्राम पर चले जाएंगे। इस दिन से सभी तरह के शुभ संस्कारों पर रोक लग जाएगी। चार महीने तक विवाह समेत अन्य संस्कार नहीं किस जा सकेंगे। नवंबर महीने में देवउठनी एकादशी से फिर मुहूर्तों की शुरुआत होगी।

पांच नक्षत्रों का योग होता है पंचक

पांच नक्षत्रों के मेल से निर्मित होने वाले योग को पंचक कहा जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि जिस समय चंद्रमा, कुंभ और मीन राशि पर होता है, तो उस समय को पंचक माना जाता हैै। जो एक अशुभ योग व नक्षत्र कहलाता है।

ऐसा मानते हैं कि पंचक अशुभ और हानिकारक नक्षत्रों का एक योग होता है। पंचक के पांच नक्षत्रों में घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र शामिल होते हैं। लगातार पांच दिनों तक ये नक्षत्र पड़ते हैं तब उसे पंचक काल कहा जाता है। पंचक का स्वामी ग्रह कुंभ और राशि मीन होती है। पंचक प्रत्येक महीने में एक बार अवश्य पड़ता है।

अंतिम संस्कार के नियम

ऐसी मान्यता है कि पंचक के दौरान किसी की मृत्यु होने पर दाह संस्कार के दौरान शव के साथ आटे के पांच पुतले बनाकर अर्थी पर रखकर अंतिम संस्कार किया जाता है। पंचक के दौरान चारपाई, पलंग नहीं बनवाया जाता। धनिष्ठा नक्षत्र में घास, लकड़ी, ईंधन एकत्रित नहीं करनी चाहिए।

पूजा पाठ का फल पांच गुणा

महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार पंचक को भले ही अशुभ काल माना जाता है। इस दौरान शुभ संस्कार नहीं किए जाते, लेकिन पंचक काल में पूजा-पाठ, हवन आदि करने से इसका फल पांच गुणा अधिक प्राप्त होता है। पूजा, पाठ पर पंचक का असर नहीं होता।

हर महीने इस तरह पड़ेगा पंचक काल

  • जून माह – 28 जून से 3 जुलाई
  • जुलाई माह – 25 जुलाई से 30 जुलाई
  • अगस्त माह – 22 अगस्त से 26 अगस्त
  • सितंबर माह – 18 सितंबर से 23 सितंबर
  • अक्टूबर माह – 15 अक्टूबर से 20 अक्टूबर
  • नवंबर माह – 12 नवंबर से 16 नवंबर
  • दिसंबर माह -10 दिसंबर से 14 दिसंबर

विवाह मुहूर्त

जुलाई – 6, 7, 12, 16

नवंबर – 19, 20, 21, 26, 27, 28, 29 और 30

दिसंबर – 1, 2, 5, 7, 11, 12, 13

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