पटना. ‘घबराइए मत सरकार दो तीन महीने में गिरने वाली है.’ ये बयान राघोपुर में देकर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने दिल्ली से आते ही बिहार की सियासत गर्मा दी है. दरअसल ये बयान तेजस्वी ने तब दिया जब अपने विधानसभा क्षेत्र राघोपुर में बाढ़ पीड़ितों को देखने गए थे. उसी वक्त कुछ लोग नाराज़गी ज़ाहिर करने लगे तो तेजस्वी यादव ने उन लोगों को समझाने के दौरान ये बातें कही. इसी के बाद तेजस्वी के बयान के राजनीतिक अर्थ और गम्भीरता दोनों खोजे जाने लगा. सवाल उठने लगे कि क्या बिहार सरकार के अंदर सबकुछ ठीक चल रहा है?
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे ने तेजस्वी के इस दावे पर कहा कि तेजस्वी के बयान का फिलहाल कोई बड़ा अर्थ निकालना गलत होगा. क्योंकि तेजस्वी यादव बहुत दिनों के बाद राघोपुर गए थे और बाढ़ पीड़ितों ने जब नाराजगी जाहिर की होगी तो उसे मौके पर ही शांत करने की कोशिश के तहत ही इस तरह का बयान उन्होंने दिया होगा. साथ ही इस बयान के बहाने अपने कार्यकर्ताओं को भी उत्साहित करने की कोशिश की होगी.
पहले भी किया गया था दावा
अरुण पांडे ये भी कहते है कि राजद की तरफ से मकर संक्रांति के पहले भी ये दावा किया गया था कि मकर संक्रांति के बाद बिहार की सियासत में उलटफेट होगा, लेकिन उसके कई महीने हो गए और आज भी बिहार में NDA की सरकार चल रही है. फिर ये दावा किया गया कि लालू प्रसाद यादव के बिहार आते ही बिहार में खेला होगा, लेकिन फिलहाल लालू जी बिहार नहीं आ रहे हैं. इसी बीच लोजपा प्रकरण के बाद उत्साहित जेडीयू की तरफ से जैसे ही ये बयान आया कि कांग्रेस और राजद के विधायक भी उनकी पार्टी के सम्पर्क में हैं. उसके बाद कांग्रेस विधायकों का पटना में परेड लगना और अब दिल्ली आलाकमान से मिलने जाने की तैयारी से समझा जा सकता है कि कांग्रेस आलाकमान में बेचैनी कितनी है. महागठबंधन में टूट की ख़बर से बचाने की कवायद के तहत भी तेजस्वी यादव के बयान को देखा जा सकता है.
मांझी का मजबूत साथ
दरअसल राजनीतिक हलके से ये खबर आ रही है की तेजस्वी यादव को भी पता है की बिहार में एनडीए की सरकार को कितना खतरा है. वो भी तब जब जितन राम मांझी को लेकर जो अटकलें चल रहीं थी. मांझी ने नीतीश कुमार से मुलाकात कर ये साफ कर दिया कि वो पूरी मज़बूती से एनडीए के साथ हैं और उसके बाद संख्या बल के लिहाज़ से बिहार में एनडीए को तोड़ना आसान नहीं होगा. वहीं वीआईपी के मुकेश सहनी ने भी कहा है कि उनका समर्थन एनडीए के साथ है और खबर ये भी है कि मुकेश सहनी को भी पता है की उनके चार विधायकों में से तीन विधायक भाजपा के बेहद नजदीकी मानें जाते हैं और उनका टूटना इतना आसान नहीं है.
अरुण कहते हैं बावजूद इसके सारी निगाहें टिकी हुई है केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार पर. अगर जेडीयू मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल हो जाती है तो फिर बिहार में एनडीए सरकार की मजबूती और बढ़ जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं होता है और मंत्रिमंडल विस्तार में अगर कोई पेंच फंसता है तो फिर बिहार में एनडीए की सरकार पर खतरा बढ़ सकता है. शायद इसी को देखते हुए तेजस्वी यादव ने दो तीन महीने वाला बयान दिया हो. बहरहाल सियासत है सियासत में कब क्या हो जाए ये कोईं नही जानता है.