भारत में फैला डेल्टा वैरिएंट अब तक 80 देशों में फैला

नई दिल्‍ली ।

भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वैरिएंट अभी तक दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार यह वैरिएंट बहुत तेजी से फैल रहा है और इसकी चेन तोड़ना बेहद आवश्यक है वरना कुछ और नए वैरिएंट पैदा हो सकते हैं। डॉ दिलीप कुमार वायरोलॉजिस्ट, बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन, ह्यूस्टन का कहना है कि जीवों की उत्पत्ति के क्रम में म्युटेशन एक सतत और सामान्य प्रक्रिया है। म्युटेशंस मतलब जीनोमिकी संरचना में परिवर्तन है, इस कारण से जीवों की नई प्रजातियों की उत्पत्ति होती है।

वायरस ऐसे होता म्यूटेट

वायरस अपनी कॉपी बनाने के लिए अपने होस्ट की सेलुलर मशीनरी का प्रयोग करता है। होस्ट की कोशिकाओं में अपनी नई कॉपी बनाने के दौरान वायरस में म्युटेशन की संभावनाएं बहुत प्रबल होती है। ये सतत म्युटेशन की प्रक्रिया वायरस के नए वैरिएंट्स को जन्म देती है। कोरोना वायरस भी खुद को ऐसे ही म्यूटेट कर रहा है। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में नए वैरिएंटस की खबरें सामने आ रही है। डबल म्यूटेंट वैरिएंट या डेल्टा वैरिएंट भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर का मुख्य कारण था। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, यह वैरिएंट करीब 80 देशो में फैल चुका है।

नए वैरिएंट की चेन तोड़ना बेहद जरूरी

दरअसल ज्यादा खतरनाक म्यूटेशन न हो और नए वैरिएंट पैदा नहीं इसके लिए वायरस के ट्रांसमिशन की चेन को जल्द से जल्द तोड़ना बेहद जरूरी है। ऐसे में कोरोना वैक्सीन लगाना ही इसका एक सही तरीका है। हालांकि, ब्रिटेन में तेजी से टीकाकरण के बावजूद डेल्टा वैरिएंट से जुड़े संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जैसे- क्या वर्तमान में उपलब्ध टीके इन वैरिएंट्स के खिलाफ प्रभावी हैं? क्या हमें भविष्य में और बूस्टर डोज की आवश्यकता पड़ सकती है? या फिर हमें नए टीके विकसित करने होंगे।

अभी सभी वैरिएंट पर कारगर है वैक्सीन

ब्रिटिश वैज्ञानिकों से लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च तक ने अभी मौजूद सभी टीकों को ,नए वैरिएंट्स पर कारगर पाया है। ब्रिटेन में भी डेल्टा वैरिएंट के मामलों में अस्पताल में भर्ती होने या गंभीर होने वालों में ज्यादातर लोग वही हैं, जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है।

टीकाकरण से गंभीर लक्षण नहीं

वैक्सीन लगने के बाद संक्रमण ज्यादातर मामलों में ज्यादा लक्षणों के साथ नहीं दिख रहा है। भविष्य में हमें नए टीकों या बूस्टर डोज की तरफ समय रहते ध्यान देने की जरूरत है। ऐसा तब तक करना पड़ सकता है जब तक कि पूरी दुनिया में टीकारण के जरिए हर्ड इम्युनिटी नहीं आ जाती है। ऐसे में यदि लोग वैक्सीन नहीं लगवाएंगे तो लोग संक्रमित होते रहेंगे, वायरस में म्यूटेशन होते रहेंगे और नए वैरिएंट्स आते रहेंगे। अगर नए वैरिएंट्स पर वैक्सीन कारगर नहीं रही तो दुनिया से मुसीबत में आ सकती है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाना ही कोरोना संकट से बचने का एकमात्र उपाय है।

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