देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहितों का प्रदर्शन आज भी जारी है। अपनी मांगों को लेकर पुजारी केदारनाथ मंदिर के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। इससे पहले पुरोहितों ने काली पट्टी बांधकर पूजा-अर्चना का अपना दैनिक कार्य किया था।
राज्य सरकार के खिलाफ की नारेबाजी
श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति तथा गंगोत्री तीर्थ पुरोहित महासभा के संयुक्त तत्वाधान में गंगोत्री मंदिर परिसर में देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहितों और पुजारी राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव दीपक सेमवाल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा इस मसले पर तीर्थ पुरोहितों को लगातार गुमराह किया जा रहा है। एक ओर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार की घोषणा करते हैं तो वहीं दूसरी ओर उनके संस्कृति मंत्री बोर्ड पर कोई पुनर्विचार नहीं होने की बात कहते हैं।
15 जून को सांकेतिक उपवास रखने का ऐलान
देवस्थानम बोर्ड को भंग नहीं किए जाने पर चारों धामों, गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ, में बड़ा आंदोलन छेड़ने की चेतावनी देते हुए सेमवाल ने कहा कि 15 जून को गंगोत्री मंदिर परिसर व शीतकालीन पूजा स्थल मुखबा में सांकेतिक उपवास रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा 20 जून को उत्तराखंड सरकार की बुद्धि की शुद्धि के लिए हवन और यज्ञ किया जाएगा तथा उसके बाद 21 जून से गंगोत्री मंदिर परिसर में अनिश्चितकालीन धरना प्रारंभ किया जाएगा।
देवस्थानम बोर्ड का हो रहा विरोध
इसी प्रकार का विरोध यमुनोत्री मंदिर में किया गया जहां मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल के नेतृत्व में तीर्थ पुरोहितों ने अपने हाथों में काली पट्टी बांध कर बोर्ड का विरोध जताया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में चारधामों सहित प्रदेश के 51 मंदिरों के प्रबंधन के लिए एक अधिनियम के जरिए देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था। तीर्थ पुरोहित इसका शुरुआत से ही विरोध कर रहे हैं। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद कुंभ के दौरान तीरथ सिंह रावत ने बोर्ड के मसले पर पुनर्विचार का संकेत देते हुए कहा था कि इस संबंध में सभी हितधारकों से बातचीत करने के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा।