भोपाल ।
राजधानी भोपाल के जेपी अस्पताल में मेडिकल आक्सीजन की समस्या हमेशा के लिए हल होने जा रही है। यहां पर दो आक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाए जा रहे हैं। इनमें एक प्लांट 1000 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) क्षमता वाला है और दूसरा 400 एलपीएम क्षमता का है। एक हजार लीटर क्षमता वाला प्लांट भारत सरकार के सहयोग से लगाया जा रहा है और दूसरा मध्य प्रदेश सरकार लगा रही है।
गौरतलब है कि कोरोना संकट के दौरान जेपी अस्पताल में अधिकतम 120 मरीज भर्ती थे। उनमें आक्सीजन सपोर्ट पर 30 से 40 मरीज ही थे। इसके बाद भी अप्रैल में ऐसे हालात बने थे कि अस्पताल में मरीजों के लिए एक से दो घंटे की ही आक्सीजन बची थी। अस्पताल के आरएमओ डॉ. बलराम उपाध्याय ने बताया कि दोनों प्लांट लगने के बाद सामान्य परिस्थितियों में अस्पताल में आक्सीजन की जरूरत पूरी हो जाएगी। जेपी अस्पताल में 20 बिस्तर का कोरोना आइसीयू बना है। आक्सीजन पाइप लाइन लगी हुई है। आक्सीजन जनरेशन प्लांट से पाइप लाइन को जोड़ा जाएगा। हर दिन 20 से 30 मरीजों की आक्सीजन की जरूरत पूरी हो जाएगी।
बता दें कि जनरेशन प्लांट में वातावरण से आक्सीजन खींचकर मेडिकल आक्सीजन तैयार की जाती है। तरल आक्सीजन 97 से 98 फीसद तक शुद्ध होती है, जबकि हवा से तैयार की गई आक्सीजन करीब 92 फीसद तक शुद्ध होती है। आक्सीजन कंसंट्रेटर में भी वातावरण की हवा से मेडिकल आक्सीजन तैयार की जाती है।
एक आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए बेमसेंट बनाने का काम लगभग पूरा होने वाला है। दूसरे का काम भी जल्द ही शुरू होगा। उम्मीद है कि महीने भर में बेसमेंट तैयार होने के बाद प्लांट लग जाएगा। इससे अस्पताल में मौजूदा बिस्तर के अनुसार आक्सीजन की जरूरत पूरी हो सकेगी।