मेहुल चोकसी की याचिका पर डोमिनिका की कोर्ट में सुनवाई हुई।मेहुल चोकसी व्हिलचेयर पर कोर्ट पहुंचा जहां उसने डोमिनिका में गैरकानूनी घुसपैठ से इन्कार किया। हालांकि उसकी दी गई जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी। रिपोरट्स् के मुताबिक, कोर्ट में अगली सुनवाई 14 जून को होगी। यानी मेहुल चोकसी को भारत लाने की कोशिशो को झटका भले ही न लगे, लेकिन कानूनी दांवपेंचों के बीच देरी जरूर हो सकती है। इससे पहले भारतीय बैंकों को 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाने वाले भगोड़े मेहुल चोकसी के मामले में डोमिनिका की सरकार ने कोर्ट से चोकसी की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज करने का आग्रह किया। मेहुल चोकसी का कहना है कि उनका अपहरण कर जबरन कैरिबियाई द्वीप राष्ट्र लाया गया।
सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा कि मेहुल चोकसी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका मान्य नहीं है क्योंकि उसने अवैध रूप से देश में प्रवेश किया था और बाद में उसे हिरासत में लिया गया। मेहुल चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि मामला बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का है न कि उसके भारत प्रत्यर्पण का। उसकी नागरिकता पर अदालत के समक्ष कोई सवाल नहीं है।
डोमिनिका के हाई कोर्ट के जज बर्नी स्टीफेंसन ने अस्पताल में भर्ती हीरा व्यापारी के साथ वीडियो-कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की। जज ने अधिकारियों से डोमिनिका-चाइना फ्रेंडशिप अस्पताल में भर्ती चोकसी के साथ अदालती दस्तावेज साझा करने को कहा। चोकसी के वकीलों ने कहा कि वह पुलिस हिरासत में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है। उसे वापस एंटीगुआ और बारबुडा भेज दिया जाए। वकीलों ने चोकसी के शरीर पर चोट के निशान भी दिखाए। हाई कोर्ट से मनमाफिक फैसला न आने पर चोकसी सुप्रीम कोर्ट भी जा सकता है।
उल्लेखनीय है मेहुल चोकसी के अपराधों से जुड़े तमाम दस्तावेज लेकर सीबीआई के आला अधिकारी डोमिनिका में मुस्तैद हैं। दूसरी तरफ, मेहुल चोकसी की तरफ से भी धुरंधर वकीलों की टीम डटी है। उसे स्थानीय तौर पर कुछ राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिल रहा है। डोमिनिका ही नहीं बल्कि एंटीगुआ के विपक्षी दल भी मानवाधिकार के नाम पर चोकसी को भारत भेजे जाने का विरोध कर रहे हैं।