फोनी के प्रकोप का सामना करने वाले देश के राज्य ओडिशा ने दुनिया को सिखाया है कि किस तरह जानलेवा चक्रवाती तूफानों से निपटने की तैयारी की जाए और जनहानि को कम किया जाए।
भीषण चक्रवाती तूफान फोनी के प्रकोप का सामना करने वाले ओडिशा ने दुनिया को एक बड़ी सीख दी है। राज्य प्रशासन ने अपनी बेहतर प्लानिंग से जनहानि को कई गुना कम करके एक मिसाल पेश की है। ओडिशा ने पूरी दुनिया को बता दिया है कि विनाशकारी चक्रवाती तूफानों से कैसे निपटा जाए। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने भारत के प्रयासों की जमकर तारीफ की है। शुक्रवार को आया तूफान फोनी भी दुनियाभर में भारी नुकसान करने वाले चक्रवाती तूफानों जैसा ही था, मगर बेहतर प्लानिंग की वजह से भारत ने जानमाल के नुकसान को बहुत हद तक कम कर दिया। आमतौर पर फोनी जैसे भीषण तूफान सैकड़ों लोगों की जान लेता रहा है।इससे पहले 1999 में ओडिशा में आए सुपर साइक्लोन से 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। लेकिन इस बार मौत का आंकड़ा 12 तक ही सिमट गया।
राज्य सरकार ने पूरी मशीनरी झोंक दी
ओडिशा सरकार ने लोगों को सचेत करने में और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में अपनी पूरी मशीनरी झोंक दी। तूफान से पहले करीब 26 लाख टेक्स्ट मैसेज भेजे गए, 43 हजार वॉलंटियर्स, 1000 आपातकालीन कर्मी, टीवी पर विज्ञापन, तटीय इलाकों में लगे साइरन, बसें, पुलिस अधिकारी और सार्वजनिक घोषणा जैसे तमाम उपाय राज्य सरकार ने किए और यह काम भी कर गया।
ओडिशा ने ऐसे पेश की मिसाल
शुक्रवार को ओडिशा के तटीय इलाकों से टकराया तूफान फोनी के दौरान 220 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चल रही थीं। बस, कार, क्रेन, पेड़ कुछ भी तूफान के आगे नहीं टिक पाया। तूफान के बाद तबाही के मंजर की तस्वीरें देखकर दिल दहल जाए, लेकिन जिस तरह की तबाही थी उस तरह की जनहानि नहीं हो पाई और यहीं ओडिशा ने दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है।
‘लोगों ने सरकारी मशीनरी से गंभीरता की उम्मीद नहीं की थी’
तूफान से जो सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते थे, उन्हें समय रहते ही वहां से निकाल लिया गया। एक्सपर्ट की मानें तो यह एक अद्भुत उपलब्धि है। खासतौर पर भारत के लिए उस राज्य के लिए जिसकी गिनती पिछड़े राज्यों में होती है। पूर्व नौसेना अधिकारी और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के मैरिटाइम पॉलिसी इनिशिएटिव हेड अभिजीत सिंह ने कहा, ‘बहुत ही कम लोगों ने सरकारी मशीनरी से इस तरह की गंभीरता की उम्मीद की थी। यह एक बहुत बड़ी सफलता है।’
20 साल पहले ऐसे ही तूफान ने मचाई थी तबाही
ये हालात 20 साल पहले के इसी इलाके में आए चक्रवाती तूफान से बहुत अलग हैं। उस वक्त आए चक्रवाती तूफान ने हजारों लोगों की जान ले ली थी। कई लोग अपने घरों के मलबे में दबे मिले, कई लोगों की लाशें उनके घर से मीलों दूर मिलीं। इसके बाद से ओडिशा में कई छोटे-बड़े तूफान आए, मगर इस तरह की त्रासदी दोबारा नहीं हुई। फोनी जैसे भीषण तूफान में इतनी कम जनहानि ने तो नए आयाम स्थापित कर दिए हैं।
राज्य के विशेष राहत आयुक्त विष्णुपद सेठी ने कहा, ‘हम इसको लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं कि तूफानों में एक भी आदमी की जान नहीं जानी चाहिए। यह एक दिन या एक महीने भर का काम नहीं है, बल्कि इसमें हमने पिछले 20 साल खपाए हैं।’
शेल्टर होम बने लोगों के लिए वरदान
1999 में आए तूफान के बाद जो सबसे बड़ी चीज हुई, वह थी तूफान से बचने के लिए शेल्टरों का निर्माण। समुद्र तटीय इलाकों से कुछ किमी की दूरी पर बने ये शेल्टर तूफान के दौरान लोगों को बचाने का सबसे बड़ा जरिया होते हैं। ये देखने में आकर्षक नही लगते हैं। एक पुरानी सी दिखने वाली दो मंजिला इमारत यूं तो भले ही रहने लायक ना लगे, लेकिन आईआईटी खड़गपुर के विशेषज्ञों द्वारा डिजाइन की गई ये इमारतें चक्रवाती तूफानों को झेलने में सक्षम हैं।
- ओडिशा में आए भीषण चक्रवाती तूफान फोनी में 6 लोगों की मौत हुई है
- 220 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से आए फोनी ने संपत्तियों को काफी नुकसाना पहुंचाया
- हालांकि बेहतर तैयारी की वजह से तूफान के कारण जनहानि बेहद कम हुई
- ओडिशा ने पूरी दुनिया को बता दिया कि इस तरह के बड़े तूफानों से कैसे निपटा जाता है