कोरोना काल में सीबीएसई 12वीं की परीक्षाएं आयोजित की जाएं या नहीं, इस सलाव से न केवल सरकार और बोर्ड, बल्कि लाखों माता-पिता भी जूझ रहे हैं। ताजा खबर यह है कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सर्वाच्च अदालत में शुक्रवार को इस मुद्दे पर सुनवाई होगी। याचिका दायर कर मांग की गई है कि कोरोना के हालात को देखते हुए इस साल यह परीक्षा रद्द कर दी जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई, सीआईएससीई और विभिन्न राज्यों के बोर्ड ऑब्जेक्टिव पैटर्न पर परीक्षा आयोजित कर निश्चित समय सीमा में रिजल्ट जारी कर दे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले की सुनवाई जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी करेंगे।
इस बीच, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 12वीं की परीक्षा आयोजित करने की तैयारियों में जुट गया है। माना जा रहा है कि 1 जून को नई तारीखों का ऐलान हो सकता है। जानकारी के मुताबिक, CBSE की 12वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए छात्रों को कम से कम डेढ़ महीने का वक्त मिलेगा। ऐसे में परीक्षा को जुलाई के अंतिम हफ्ते से शुरू करने और पंद्रह अगस्त तक पूरा करने की योजना है। यानी पूरी परीक्षा बीस दिन में हो जाएगी।
परीक्षा से जुड़ी इस योजना को फिलहाल CBSE के परीक्षा कराने के उस पैटर्न को ध्यान में रखकर तैयार किया जा रहा है, जिसमें सिर्फ मुख्य विषयों की परीक्षा कराई जाएगी। बाकी विषयों में उसके औसत के आधार पर ही अंक प्रदान दिए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि परीक्षा पूरे तीन घंटे की और पुराने प्रश्नपत्र के मुताबिक होगी। या फिर यह डेढ़ घंटे और बहुविकल्पीय होगी।
खास बात यह है कि CBSE ने हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में राज्यों के साथ हुई बैठक में राज्यों को परीक्षा के दो विकल्प सुझाए थे। जिसमें पहला परीक्षा पूरे तीन घंटे की और पुराने प्रश्न पत्र के मुताबिक होगा। दूसरी डेढ़ घंटे की होगी और प्रश्न पत्र का पैटर्न बहुविकल्पीय होगा। फिलहाल सीबीएसई ने दोनों ही विकल्पों में परीक्षा सिर्फ मुख्य विषयों की ही कराने का प्रस्ताव किया था। इनमें ज्यादातर राज्यों ने दूसरे विकल्प को पसंद किया था।