जबलपुर ।
कोरोना संक्रमित जिन मरीजों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए थे, उनके रिकार्ड कम्प्यूटर से गायब कर दिए गए। इस बात के प्रमाण मिलने के बाद एसआइटी में शामिल पुलिस अधिकारी घंटों सिटी हॉस्पिटल में डेरा डाले रहे। इस जांच से अस्पताल के एकाउंटेंट पर शिकंजा और कस गया। एसआइटी ने उससे घंटों पूछताछ की, जल्द ही उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली जाएगी। इधर, गुजरात की जेल में बंद सपन जैन समेत अन्य आरोपितों को जबलपुर लाने की तैयारी की जा रही है।
पुलिस ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाले गिरोह के सरगना सूरत गुजरात निवासी पुनीत शाह व कौशल वोरा के खिलाफ कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट जारी कराया है। सपन जैन का प्रोडक्शन वारंट जारी करवाने के बाद पुलिस तीनों को एक साथ गुजरात से जबलपुर लाएगी। तीनों से पूछताछ के बाद इस बात का खुलासा संभव है कि सिटी हॉस्पिटल के अलावा जबलपुर में नकली इंजेक्शन और कहां खपाए गए थे। पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा का कहना है कि प्रकरण से जुड़े सभी पहलुओं पर छानबीन की जा रही है।
नहीं मिला हरकरण: नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन कांड में आरोपित सिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर सरबजीत सिंह मोखा के बेटे हरकरण की तलाा में पुलिस संभावित ठिकानों पर लगातार दबिश दे रही है। उसकी तलाश होती रही परंतु एसआइटी उस तक नहीं पहुंच सकी। इधर, मोखा की पत्नी जसमीत कौर, सिटी हॉस्पिटल की मैनेजर सोनिया, अस्पताल में मेडिकल स्टोर चलाने वाले देवेश चौरसिया को रिमांड में पूछताछ के बाद पुलिस जेेल भेज चुकी है।
सुधारे गए दस्तावेज से पता चला: सिटी हॉस्पिटल में 171 मरीजों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की डोज दी गई थी। 209 नकली इंजेक्शन मरीजों को लगाए गए थे। जिनमें से नौ मरीजों की मौत हो गई थी। प्रकरण की विवेचना में जुटी एसआइटी ने अस्पताल के रिकॉर्ड खंगाले तो तमाम बिल बाउचर संशोधित किए मिले। कम्प्यूटर के बिल बाउचार में भी छेड़छाड़ की गई। जिसके बाद पुलिस ने गड़बड़ी पकड़ ली और अब एकाउंटेंट के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की तैयारी है।