एम्स ऋषिकेश ने ब्लैक फंगस संक्रमण पर नीतिगत बदलाव करते हुए मंगलवार से इस बीमारी के पुष्ट मामलों के अतिरिक्त संदिग्ध मरीजों को भी अस्पताल में भर्ती करना शुरू कर दिया है ताकि उनका उपचार शुरू होने में देरी न हो।
एम्स ऋषिकेश के निदेशक रविकांत ने बताया कि पिछले 24 घंटे में संस्थान में म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस के नौ संदिग्ध मरीजों को भर्ती किया गया है । उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस संक्रमण के संदिग्ध मरीजों को भी भर्ती करने का निर्णय लिया गया है क्योंकि इस रोग के संक्रमण के इलाज में देरी प्राणघातक हो सकती है।
उत्तराखंड में ब्लैक फंगस से मृत्यु का पहला मामला हाल में एम्स ऋषिकेश में सामने आया जब देहरादून से रेफर होकर वहां भर्ती हुए एक 36 वर्षीय युवक ने इस संक्रमण से दम तोड़ दिया था । ब्लैक फंगस संक्रमण की पुष्टि के बाद 19 मरीज अभी संस्थान में भर्ती हैं जबकि मंगलवार को भर्ती संदिग्ध मरीजों को मिलाकर इनकी संख्या 28 हो गयी है। प्रदेश भर में ब्लैक फंगस के 23 पुष्ट मामले दर्ज हुए हैं।
निदेशक रविकांत ने लोगों का सलाह दी है कि यदि किसी व्यक्ति की नाक बंद हो जाये या नाक ज्यादा बह रही हो या नाक पर काले धब्बे बन रहे हों या चेहरे की चमड़ी का रंग काला पड़ने लगे, आधे चेहरे पर सूजन व दर्द हो या आँखों की यकायक रौशनी कम हो जाए या धुंघला दिखने लगे, या दर्द के साथ आँखों में सूजन जैसे लक्षण दिखें तो बिना समय खोए मरीज को चिकित्सक के पास जाना चाहिए।
ऋषिकेश एम्स परिसर के बाहर ब्लैक फंगस की दवाओं के लिए भटक रहे एक तीमारदार ने दावा किया कि कुछ दवाओं का टोटा है। वहीं एम्स परिसर ऋषिकेश स्थित अमृत फार्मेसी के प्रबंधक पवन बगियाल ने बताया कि ब्लैक फंगस के उपचार की वैकल्पिक दवा उपलब्ध हैं और शेष दवाएं भी जल्द आ जाएंगी।