नई दिल्ली । ‘हम जीतेंगे: पाजिटिविटी अनलिमिटेड’ के तहत पांच दिवसीय व्याख्यानमाला के अंतिम दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने संबोधन के दौरान कई अहम बातें कहीं। कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे और प्रभाव पर उन्होंने यह भी कहा कि हालात विपरीत हैं, लेकिन हम जीतेंगे बात भी निश्चित है। उन्होंने कहा कि समाज की जो भी आवश्यकता है संघ के स्वयंसेवक पूर्ति में लगे हैं। अब जो परिस्थिति है उसमें खुद को सुरक्षित रखना है। वर्तमान परिस्थिति कठिन है और निराश करने वाली है, लेकिन नकारात्मक नहीं होना है और मन को नकारात्मक नहीं रखना है।
निराशा की नहीं लड़ने की परिस्थिति है
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि मन की दृृ़ढता सामूहिकता से काम करने और सत्य की पहचान करते हुुए काम करने की बात पूर्व के वक्ताओं ने की है। मुख्य बात मन की है। मन अगर थक गया, तो दिक्कत होगी। जैसे सांप के सामने चूहा अपने बचाव के लिए कुछ नहीं करता। ऐसा नहीं होने देना है। विकृति के बीच संस्कृति की बात सामने आ रही है। वर्तमान समय निराशा का नहीं लड़ने की परिस्थिति है।
दुख की चुनौती मानकर संकल्प कर लड़ना है
यह समय रोजाना हमारे मन को उदास कटू बनाएगा। ऐसा होने से विनाश ही होगा, ऐसा हुआ नहीं है। सारी समस्याओं को लांघकर सभयता आगे बढ़ी है। समाज की चिंता और प्लेग के रोगियों की सेवा करते हुए हेडगेवार के माता-पिता चले गए, तो क्या उनका मन कटूता से भर गया,ऐसा नहीं है,बल्कि आत्मीयता का संबंध बनाया।
जब विपत्ति आती है तो हमारी प्रकृति क्या है? भारत के लोग जानते हैं कि पुराना शरीर निरीपयोगी हो गया।दूूूूसरा धारण करना है, यह हम जानते हैं, ऐसे में यह हम डरा नहीं सकती। हमें जीतना है। सामने जो संकट, दुख की चुनौती मानकर संकल्प कर लड़ना है। जब तक जीत न जाएं तब तक लड़ना है। थोड़ा सी गफलत हुई। क्या शासन-प्रशासन लोग सभी गफलत में आ गए ,इसलिए यह आया, जबकि वैज्ञानिक कहते रहे, अब तीसरी लहर की बात हो रही है, तो बैठना नहीं है लड़ना है।
मोहन भागवत ने कहा कि देर से जागे कोई बात नहीं है, लेकिन अंतर भरकर आगे निकलना चाहिए। कैसे तो खुद को पहला खुद को ठीक रखना, पर्यत्य में धैर्य सजगता और सक्रियता स्वयं सजग रहना, व्यायाम करना, प्राणायाम, सूर्य नमस्कार, ओमकार, दीर्घ स्वसन की बात हुई है। ऑनलाइन सीखने की व्यवस्था हो गई है। बहुत कठिन क्रियाएं नहीं,बल्कि सात्विक आहार, शरीर की ताकत को बढ़ाने वाला आधार हो पर वैैैैैज्ञानिकता का आधार हो।जो भी आ रहा है उसको परखकर लेना चाहिए, हमारा स्वयं का अनुभव व वैज्ञानिक परीक्षण के आधार पर लें। हमारी ओर से बेसिर पैर की बात न जाएं। आयुर्वेद के पीछे तर्क है, उसे लेने में कोई दिक्कत नहीं है पर सबको लाभ हो ऐसा भी नहीं, इसलिए सावधानी रखकर उपचार और आहार का सेवन होना चाहिए। खाली मत रहिए कुछ नया सीखिए, बच्चों से संवाद कायम करे। कुटुंब का भी। पर्याप्त अंतर पर रहकर संपर्क, स्वच्छता कापालन करना, मास्क लगाएं। सावधानी हटती है तो दुर्घटना घटती है। गड़बड़ हो गई तो उपचार लें।बदनामी का डर और अस्पताल की स्थिति देखकर उपचार नहीं लेते, लेकिन तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेकर प्राथमिक सावधानियां बरतने से आदमी इससे बाहर आ सकता है। जन प्रबोधन और जन प्रशिक्षण का बड़ा महत्व है। प्रत्यक्ष सेवा करनी है तो उनके लिए बेड-ऑक्सीजन की व्यवस्था करनी है। पहली लहर में की थी। अब उससे अधिक करने की आवश्यकता है। बच्चों की शिक्षा में पिछड़ने का दूसरा वर्ष, वह ज्ञान में न पिछड़े इसकी चिंता है।रोज कमाने-खाने वाले का रोजगार बंद न हो। उनकी चिंता होनी चाहिए और वह भूखे न रहें।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आने वाले दिनों में इसके कारण आर्थिक क्षेत्र में पिछड़ने की बात होगी। ऐसे में स्कील ट्रेंनिग और मटके जैसे हस्तशिल्प को बढ़ावा देकर संबल हो सकता है। नियम, व्यवस्था व अनुशासन का पालन कर आगे बढ़ना होगा। कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। होगी महामारी, छुपा होगा, रूप बदलने वाला होगा, हम जीतेंगे। परिस्थिति दोषों को दिखा देंगे, यह हमारे धैर्य की परीक्षा है। यश-अपयश का खेल चलता है। सफलता अंतिम नहीं है। आघातों में पचाकर धैर्य की प्राप्ति तक सतत प्रयास के साथ संकल्प के साथ आगे बढ़ें तो हम जीतेंगे बात निश्चित है।
कोविड रिस्पांस टीम (सीआरटी) की तरफ से 11 मई से ‘हम जीतेंगे: पाजिटिविटी अनलिमिटेड’ का आयोजन किया जा रहा है। समापन दिवस पर शनिवार को अंतिम दिन 4:30 बजे मोहन भागवत का उद्बोधन हो रहाहै। इसी के साथ कार्यक्रम का समापन हो जाएगा।
इससे पहले शुक्रवार को आध्यात्मिक गुरु दीदी मां साध्वी ऋतंभरा ने इस कार्यक्रम को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि मनुष्य के साहस व संकल्प के सामने बड़े-बड़े पर्वत तक नहीं टिक पाते हैं। ऐसे में इस अदृश्य विषाणु के दौर से भी जरूर बाहर निकलेंगे। यह ध्यान में रखना होगा कि इस विकट परिस्थिति में असहाय होेने से समाधान नहीं निकलेगा। हमें अपनी आंतरिक शक्ति को जागृत करना होगा।साध्वी के अलावा श्री पंचायती अखाड़ा-निर्मल के पीठाधीश्वर संत ज्ञानदेव ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था टकेवल भारतवर्ष में नहीं संपूर्ण विश्व में जो यह संक्रमण काल चल रहा है, इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है, मनोबल गिराने की आवश्यकता नहीं है। जो भी वस्तु संसार में आती है, वह सदा स्थिर नहीं रहती। दुःख आया है, वह चला जाएगा।
कोविड रिस्पांस टीम (सीआरटी), समाज हितैषी नागरिक, धार्मिक, सामाजिक संगठनों की एक ऐसी पहल है जो कोरोना संकट काल में महामारी से निपटने के लिए भारत के व्यापक प्रयासों के बीच समाज में सकारात्मक वातावरण का निर्माण करने के लिए ‘’Positivity Unlimited : हम जीतेंगे’ व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन कर रही है।